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दिल्ली में भाजपा ने ज्यादातर वे सीटें गंवाईं जहां उसके नेताओं ने की थीं विवादित टिप्पणियां

चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा (BJP) नेताओं ने जिस-जिस जगह अपने विरोधियों को निशाना बनाकर विवादित टिप्पणियां कीं उन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही.

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Nihar Saxena
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दिल्ली में भाजपा ने ज्यादातर वे सीटें गंवाईं जहां उसके नेताओं ने की थीं विवादित टिप्पणियां

सांकेतिक चित्र( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2020) में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा (BJP) नेताओं ने जिस-जिस जगह अपने विरोधियों को निशाना बनाकर विवादित टिप्पणियां कीं उन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही. उत्तर प्रदेश (UP) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने जिन 12 विधानसभा सीटों पर रैलियों को संबोधित किया उनमें सिर्फ तीन सीटों पर भाजपा चुनाव जीत पाई. वह आप के 62 सीटों के मुकाबले सिर्फ आठ सीटों पर चुनाव जीत पाई. ध्रुवीकरण (Polarisation) के बीजेपी के प्रयासों का कोई असर नहीं दिखा, बल्कि मुस्लिम बाहुल्य़ (Muslim Majority) क्षेत्रों में सारा वोट आप के खाते में चला गया. उसकी तुलना में हिंदू वोट एकजुट नहीं हो सका. नतीजतन शुरुआती रुझानों (Initial Trends) में बढ़त बनाने के बावजूद बीजेपी को दिल्ली में महज 8 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. हालांकि बीजेपी का वोट शेयर (Vote Share) जरूर बढ़ गया.

योगी की चमक पड़ी फीकी
चार दिन के अपने व्यस्त चुनाव प्रचार के दौरान योगी ने पटपड़गंज, किराड़ी, महरौली, उत्तम नगर, द्वारका, तुगलकाबाद, विकासपुरी, रोहिणी, करावल नगर, जहांगीरपुरी और बदरपुर में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में रैलियां संबोधित की थी. उन्होंने हर रैली में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को निशाने पर रखा और आरोप लगाया कि आप सरकार उन्हें 'बिरयानी' खिला रही है. चुनाव आयोग ने इसके लिए उन्हें नोटिस भी जारी किया. बदरपुर, करवाल नगर और रोहिणी में भाजपा के रामवीर सिंह बिधूड़ी, मोहन सिंह बिष्ट और विजेंद्र गुप्ता विजेता बनकर उभरे.

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प्रवेश वर्मा का बयान भी नहीं आया काम
पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने जनकपुरी में एक रैली के दौरान विवादित टिप्पणी की थी जहां भाजपा उम्मीदवार आशीष सूद आप के राजेश ऋषि से 14,917 मतों से हार गए. वर्मा ने कहा था, 'कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वह दिल्ली में भी हो सकता है. शाहीन बाग में लाखों लोग जमा हुए हैं वे आपके घरों में घुसकर आपकी बहनों और बेटियों से बलात्कार कर सकते हैं. जनता को अब फैसला करने की जरूरत है.' वर्मा की इस टिप्पणी के लिए चुनाव आयोग ने उन पर चार दिन के लिए चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी थी.

अनुराग ठाकुर की टिप्पणी भी पड़ गई भारी
सीएए के विरोध में प्रदर्शन का प्रमुख स्थल बन चुका दक्षिण दिल्ली का शाहीन बाग भाजपा के चुनाव प्रचार का मुख्य केंद्र बन गया था. वर्मा के चाचा एवं मुंडका से पार्टी के उम्मीदवार आजाद सिंह आप के धर्मपाल लाकड़ा से 19,158 मतों से हार गए. रिठाला में जहां केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 'देश के गद्दारों को' की टिप्पणी की थी वहां आप के मोहिंदर गोयल ने भाजपा के मनीष चौधरी को 13,817 मतों से पछाड़ दिया. इस चुनाव की तुलना 'भारत बनाम पाकिस्तान मैच' से करने से संबंधी अपने विवादित ट्वीट के कारण मॉडल टाउन से भाजपा उम्मीदवार कपिल मिश्रा पर 48 घंटे तक चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाया गया था, जहां वह आप के अखिलेश पति त्रिपाठी से हार गए.

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ये रहे बीजेपी की हार को 5 बड़े कारण

साइलेंट वोटर बना गरीब
केजरीवाल ने जिस तरह से दो सौ यूनिट बिजली और महीने में 20 हजार लीटर पानी मुफ्त कर दिया, उससे आम जन और गरीब परिवारों की जेब पर भार कम हुआ है. लाभ पाने वाला गरीब तबका चुनाव में साइलेंट वोटर बना नजर आ रहा है. बिजली कंपनियों के आंकड़ों की बात करें तो एक अगस्त को योजना की घोषणा होने के बाद दिल्ली में कुल 52,27,857 घरेलू बिजली कनेक्शन में से 14,64,270 परिवारों का बिजली बिल शून्य आया. लाभ पाने वाले अगर झाड़ू पर बटन दबाएं तो फिर आम आदमी पार्टी की वापसी की राह आसान होगी.

मुसलमानों का झुकाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नागरिकता संशोधन कानून आने के बाद से मुस्लिमों की बड़ी आबादी के मन में डर बैठ गया है. मुसलमान उस पार्टी को वोट देना चाहते हैं जो बीजेपी को हराने में सक्षम हो. कांग्रेस दिल्ली चुनाव में कहीं नजर नहीं आ रही है, ऐसे में मुसलमानों का अधिकतर वोट आम आदमी पार्टी को जाना तय माना जा रहा है. दिल्ली में सीलमपुर, ओखला आदि सीटों पर मुस्लिम निर्णायक स्थिति में हैं.

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महिलाओं को भी आप ने बनाया वोट बैंक
आम आदमी पार्टी ने जितना महिलाओं पर फोकस किया, उतना बीजेपी ने नहीं. केजरीवाल सरकार ने बसों में 30 अक्टूबर को भैयादूज के दिन से मुफ्त सफर की महिलाओं को सौगात दी. एक आंकड़े के मुताबिक प्रतिदिन करीब 13 से 14 लाख महिलाएं दिल्ली में बसों में सफर करतीं हैं. ऐसे में महिलाओं को अगर झाड़ू की बटन पसंद आई तो फिर भाजपा के लिए दिक्कत हो जाएगी.

स्कूलों की फीस न बढ़ने देना
दिल्ली में स्कूलों की हालत सुधरने को जो दावे हों, मगर सबसे ज्यादा लाभ प्राइवेट स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाने से मध्यमवर्गीय जनता को पहुंचना बताया जा रहा है. आम आदमी पार्टी के ही एक सूत्र के मुताबिक दिल्ली में अधिकांश स्कूल कांग्रेस और भाजपा नेताओं के चलते हैं. ऐसे में केजरीवाल ने फीस पर नकेल कस दी. इसका लाभ मध्यमवर्गीय परिवारों को हुआ है. यह वर्ग मतदान में भी बड़ी भूमिका निभाता है.

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भाजपा की सेना बनाम अकेले खड़े केजरीवाल
राजनीतिक विश्लेषकों के एक वर्ग का मानना है कि भाजपा का हद से ज्यादा आक्रामक चुनाव प्रचार अभियान फायदा देने की जगह नुकसान भी दे सकता है. केजरीवाल खुद भाजपा की भारी-भरकम बिग्रेड का बार-बार हवाला देते हुए खुद को अकेला बताते हैं. ऐसे में जनता की अगर केजरीवाल के प्रति सहानुभूति उमड़ी तो फिर भाजपा के लिए दिक्कत हो सकती है.

HIGHLIGHTS

  • योगी आदित्यनाथ ने 12 सीटों पर रैलियां की, जिनमें सिर्फ तीन सीटों पर भाजपा जीती.
  • प्रवेश वर्मा ने जनकपुरी में एक रैली के दौरान बड़बोलापन दिखाया, वहां भी बीजेपी हारी.
  • मुसलमानों ने उस पार्टी को वोट देना मुनासिब समझा जो बीजेपी को हराने में सक्षम हो.
Parvesh Verma Delhi Assembly Elections 2020 Yogi Adityanath BJP Lost Seat Anurag Thakur MotorMouths
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