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Independence Day 2021:भगवती चरण वोहरा : नौजवान भारत सभा के सिद्धांतकार

हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य और भगत सिंह के साथ ही क्रांतिकारी दर्शन के एक प्रमुख सिद्धांतकार होते हुए भी भगवती चरण वोहरा कभी गिरफ्तार नहीं किए जा सके और न ही वे फांसी पर चढ़ें.

Updated on: 14 Aug 2021, 02:09 PM

highlights

  • भगवती चरण काकोरी मामला, लाहौर षड्यंत्र केस और सांडर्स हत्या में थे आरोपी 
  • भगवती चरण वोहरा का जन्म 15 नवंबर 1903 को लाहौर में हुआ
  • 28 मई 1930 में बम परीक्षण के दौरान घटित एक दुर्घटना में हुई मौत 

नई दिल्ली:

Independence Day 2021: काकोरी मामला, लाहौर षड्यंत्र केस और सांडर्स की हत्या के आरोपी क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा लाहौर में रहकर क्रांतिकारी गतिविधि में सक्रिय रहे. लाहौर नेशनल कॉलेज में अध्ययन के दौरान उन्होंने छात्रों की एक मंडली का गठन किया और नौजवानों को देश की आजादी के लिए कुर्बानी देने के लिए प्रेरित करने लगे. वे हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य और भगत सिंह के साथ ही क्रांतिकारी दर्शन के एक प्रमुख सिद्धांतकार होते हुए भी कभी गिरफ्तार नहीं किए जा सके और न ही वे फांसी पर चढ़ें. 28 मई 1930 में बम परीक्षण के दौरान घटित एक दुर्घटना से उनकी मृत्यु हुई.

भगवती चरण वोहरा का जन्म 15 नवंबर 1903 को लाहौर में हुआ था. उनके पिता शिव चरण वोहरा रेलवे के एक उच्च अधिकारी थे. परिवार मूल रूप से आगरा का रहने वाला था. लेकिन बाद में वे आगरा से लाहौर चले आये. उनका परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न था. भगवती चरण की शिक्षा-दीक्षा लाहौर में  हुई और उनका विवाह भी कम उम्र में कर दिया गया. क्रांतिकारियों बीच 'दुर्गा भाभी' के रूप में प्रसिद्ध दुर्गा उनकी पत्नी थीं. भगवती चरण वोहरा की तरह उनकी पत्नी दुर्गा भी क्रांतिकारी कार्यो में सक्रिय सहयोगी रहीं और पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया. इसीलिए क्रान्तिकारियों ने उनको "दुर्गा भाभी" का संबोधन दिया जो कालांतर में उनके नाम से ही जुड़ गया. 

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भगवती चरण रुसी क्रान्तिकारियों से प्रभावित थे. उनकी अध्ययन मण्डली राष्ट्र की परतंत्रता और उससे मुक्ति के प्रश्न पर केन्द्रित थी. इस अध्ययन मण्डली में नियमित रूप से शामिल होने वालो में भगत सिंह, सुखदेव आदि प्रमुख थे. बाद में चलकर इन्ही लोगों ने नौजवान भारत सभा की स्थापना की.पढ़ाई के दौरान 1921 में ही भगवती चरण गांधी जी के आह्वान पर पढाई छोडकर असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े थे. बाद में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की.

बीए की परीक्षा पास करने के बाद ही नौजवान भारत सभा के गठन और कार्य को आगे बढाया. नौजवान भारत सभा के उत्कर्ष में भगवती चरण और भगत सिंह का ही प्रमुख हाथ था. 1924 में सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल द्वारा "हिन्दुस्तान- प्रजातांत्रिक संघ के घोषणा पत्र-दि रिवोल्यूशनरी" को 1जनवरी 1925 को व्यापक से वितरित करने की प्रमुख जिम्मेदारी भगवती चरण पर ही थी. जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया. 

भगवती चरण लखनऊ के काकोरी मामला, लाहौर षड्यंत्र केस और फिर लाला लाजपत राय को मारने वाले अंग्रेज सार्जेंट-सांडर्स की हत्या में भी आरोपित थे. पर वे हमेशा अंग्रेजों का चकमा देने में सफल रहे.