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चुनाव में पारस पत्थर जैसा भाजपा को मिला नया 'वोट बैंक', 2024 के लिए तैयार है खास रणनीति

देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव (assembly elections) में भाजपा (BJP) 4 राज्यों में फिर से सत्ता में लौटी है. इस चुनाव में भाजपा के हाथ पारस पत्थर जैसा एक वोट बैंक हाथ लग गया है.

Updated on: 12 Mar 2022, 02:53 PM

highlights

  • 2024 की रणनीति तैयार करने में जुटे पीएम मोदी
  • लाभार्थी वर्ग पर बढ़ा भाजपा का फोकस
  • गांव-गांव जाकर मंत्री करेंगे योजनाओं का प्रचार

नई दिल्ली:

देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव (assembly elections) में भाजपा (BJP) 4 राज्यों में फिर से सत्ता में लौटी है. इस चुनाव में भाजपा के हाथ पारस पत्थर जैसा एक वोट बैंक हाथ लग गया है, जिसने महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक विफलताओं से घिरी भाजपा को फिर से गद्दी तक पहुंचाने का काम किया है.  इस वोट बैंक के सहारे मिली जीत ने भाजपा को अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर कर दिया है. दरअसल, भाजपा को इन चुनावों में एक ऐसे वर्ग का समर्थन मिला है, जिसने जाति और धर्म से ऊपर उठकर वोट दिया है.

        लिहाजा, भाजपा अब अपने इस वोट बैंक को खोना नहीं चाहती है.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिश है कि इस वर्ग को और भी मजबूत किया जाए. जी हां, जिस वर्ग की हम बात कर रहे हैं, वह है लाभार्थी वर्ग. यानी वह वर्ग, जिसने केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लिया है. दरअसल, पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस वर्ग ने साइलेंट मोटर के तौर पर अपना समर्थन दिया है. माना जा रहा है कि इसमें मुफ्त राशन पाने वाली महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है. लिहाजा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ग में अपनी पैठ और मजबूत करने की कोशिश तेज कर दी है. 

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मंत्रियों और राज्यों से मांगा लाभार्थियों का डाटा
सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में अगले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी समीक्षा बैठक करेंगे. इस बैठक में प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों से उनके मंत्रालयों की ओर से चलाए जा रहे योजना और अब तक हासिल किए गए लक्ष्य की जानकारी देंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएमओ ने सभी संबंधित मंत्रालयों से डेटा मांगा है कि उनके मंत्रालय के तहत कितनी जनकल्याणकारी योजनाएं (Social Welfare Scheme) चल रही हैं, उनका कितने लोगों को फायदा मिला है और इसके लिए अब तक कितना बजट आवंटित हो चुका है. इसके अलावा सरकार ने उन सभी योजनाओं के बारे में भी प्लान मांगा है, जिन्हें लॉन्च करने की योजना है.

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गांव-गांव जाकर मंत्री करेंगे प्रचार
बताया जाता है कि इसके बाद भाजपा की अगली रणनीति के तौर पर केंद्रीय मंत्रियों को देश भर में भेजने की है. इस दौरान ये सभी मंत्री अपने-अपने मंत्रालयों की ओर से चलाए जा रहे सामाजिक योजनाओं की जानकारी लोगों को देंगे. इसके अलावा राज्यों के साथ बैठक कर इन योजनाओं को और भी बेहतर तरीके से लागू करने की रणनीति तैयार की जाएगी. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश समेत सभी 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की ओर से चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं के बारे में खूब बात की थी.

धर्म और जाति से ऊपर उठकर ये वर्ग करता है मतदान
सरकार का मानना है कि लाभार्थी एक ऐसा वर्ग है, जो महिला, आदिवासी, दलित, ओबीसी, किसान और अल्पसंख्यकों को मिलकर तैयार होता है. इसके अलावा अगड़ी जातियों की भी बड़ी संख्या में इसमें समाहित हो जाती है. लिहाजा, भाजपा इस लाभार्थी वर्ग को अपनी सबसे बड़ी चुनावी संभावना के तौर पर देख रही है. लिहाजा, पांच राज्यों में से यूपी समेत 4 राज्यों में जनता की मिली अपार समर्थन के बाद केंद्र सरकार ने अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं का देश भर में आक्रामक प्रचार करने का फैसला लिया है. 

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यूपी में 15 करोड़ से ज्यादा है लाभार्थी वर्ग
दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से पूरे देश में प्रधानमंत्री आवास योजना, मुफ्त खाद्यान्न योजना, स्वच्छता मिशन के तहत हर घर शौचालय, उज्ज्वला योजना, नल जल योजना, किसान पेंशन योजना, वृद्धा, विधवा और दिव्यांग पेंशन योजना, फसल बीमा, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना और हर घर बिजली कनेक्शन जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है. माना जा रहा है कि बेरोजगारी, महंगाई, भारत चीन विवाद, आर्थिक मोर्चे पर सरकार की नाकामी और जातीय गोलबंदी जैसी तमाम कोशिशों की काट भाजपा ने इसे लाभार्थी वर्ग के बूते की है. दरअसल, यूपी में तकरीबन 15 करोड़ की ऐसी आबादी है, जिसे बीते सालों में मुफ्त राशन समेत कई तरह की योजनाओं का लाभ मिला है. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर लाभार्थी वर्ग के एक हिस्से ने भी अगर भाजपा के पक्ष में वोट दिया होगा तो उसे बहुत बड़ा फायदा मिल गया. इसके साथ ही इस बार 18 फीसदी ज्यादा महिलाओं ने वोट किया है, जिसे भाजपा अपने पक्ष में मान रही है, क्योंकि मुफ्त अनाज योजना का महिलाएं प्रत्यक्ष लाभार्थी है. 

2024 तक बढ़ाई जा सकती है मुफ्त खाद्यान्न योजना
 बेरोजगारी, महंगाई, भारत चीन विवाद, आर्थिक मोर्चे पर सरकार की नाकामी और जातीय गोलबंदी के बावजूद 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से मिले समर्थन से भाजपा गदगद है. भाजपा को इस वर्ग से आगे भी बड़ी उम्मीद नज़र आ रही है. ऐसे में कोरोना काल में गरीबों को राहत देने के लिए शुरू की गई मुफ्त अनाज योजना को सरकार 2024 तक जारी रख सकती है. दरअसल, इस योजना से राजस्व पर हर महीने 13336 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ बढ़ेगा. दरअसल, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत प्रति माह 5 किलो मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति गरीबों को की जाती है. इस योजना के तहत देशभर में तकरीबन 80 करोड़ राशन कार्ड धारकों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. गौरतलब है कि इस अब से पहले चार महीने के लिये मार्च 2022 तक बढ़ाने का फैसला किया गया था. लेकिन इस योजना के चुनावी लाभ को देखते हुए अब इसे खत्म किया जाना मुश्किल नजर आ रहा है.