Ayodhya Verdict: अयोध्‍या पर फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा काम किया जो पहले कभी नहीं हुआ था

Ayodhya Verdict: करीब 500 साल से चल रहे अयोध्‍या विवाद (Aydhya Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने ऐतिहासिक फैसला ( Ayodhya Verdict) तो सुनाया ही है साथ ही उसने एक और ऐतिहासिक काम किया है.

Ayodhya Verdict: करीब 500 साल से चल रहे अयोध्‍या विवाद (Aydhya Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने ऐतिहासिक फैसला ( Ayodhya Verdict) तो सुनाया ही है साथ ही उसने एक और ऐतिहासिक काम किया है.

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Drigraj Madheshia
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Ayodhya Verdict: अयोध्‍या पर फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा काम किया जो पहले कभी नहीं हुआ था

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

करीब 500 साल से चल रहे अयोध्‍या विवाद (Aydhya Dispute)  पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने ऐतिहासिक फैसला ( Ayodhya Verdict) तो सुनाया ही है साथ ही उसने एक और ऐतिहासिक काम किया है. अयोध्‍या विवाद की संवेदनशीलता, उसकी गंभीरता और इस पर आने वाले फैसले के प्रति लोगों की उत्‍सुकता के मद्देनजर पहली बार शीर्ष कोर्ट ने अपनी वेबसाइट के होम पेज पर भी परिवर्तन किया. शनिवार यानी 9 नवंबर को जो भी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट https://www.sci.gov.in/ पर गया, उसे आज वह बदला-बदला नजर आया. टेक्‍निकल या यूं कहें टेक्‍नोसेवी लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए किसी मामले में फैसलों की कॉपी ढूंढने में बहुत वक्‍त नहीं लगता है, लेकिन एक सामान्‍य यूजर जब अन्‍य दिनों में इस वेब साइट को खोलता है तो उसे पहला पेज यानी होम पेज कुछ यूं दिखता है. अगर आप पहली बार इस साइट पर जाते हैं तो इतने सारे मेन्‍यू में फैसलों की कॉपी ढूंढने में थोड़ी मशक्‍कत करनी पड़ सकती है.

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लेकिन 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट इतिहास रच रहा था. एक ऐसे फैसले को पांच जजों की पीठ सुनाने जा रही थी, जिसके बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसयू खान ने टिप्पणी की थी, ‘‘यह जमीन का छोटा-सा टुकड़ा है, जहां देवदूत भी पैर रखने से डरते हैं. हम वह फैसला दे रहे हैं, जिसके लिए पूरा देश सांस थामें बैठा है.’’ यह बात तबकी है जब इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्‍या विवाद पर 2010 में फैसला सुनाने जा रहा था.

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आज यानी शनिवार 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले को आम आदमी के लिए सुलभ बनाने के लिए अपनी वेब साइट के होमपेज पर ऐसी व्‍यवस्‍था कर दी कि यूजर को अयोध्‍या विवाद के फैसले की कॉपी ढूंढने में मशक्‍कत नहीं करनी पड़े. यानी फैसले की कॉपी वाला लिंक मेन पेज बन गया और उसके होम पेज पर जाने के लिए अलग टैब दिया गया.

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बता दें हिन्‍दुओं (Hindu) के सबसे बड़े आराध्‍य श्रीराम (SriRam) का अयोध्‍या में मंदिर बनने का रास्‍ता सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है. अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन राम लला को दे दी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कानूनी तौर पर श्रीराम को एक व्‍यक्‍ति मानते हुए अयोध्‍या (Ayodhya) में राम मंदिर का रास्‍ता साफ कर दिया है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में मुस्लिम पक्ष के गवाहों के बयानों का हवाला भी दिया है.

  • पेज नंबर 111: प्वाइंट नंबर 160- सूट नंबर चार यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ के गवाहों ने भी ये माना है कि जिसे वो बाबरी मस्जिद कहते थे, हिन्दू उसे जन्मस्थान पुकारते थे.
  • पेज नंबर 112: प्वाइंट नंबर 161/162- 75 साल के मोहम्मद हाशिम ने 24.07.1996 को गवाही दी कि 22 -23 दिसंबर 1949 को अटैच की गई जगह को हिन्दू राम जन्मभूमि कहते थे और मुस्लिम बाबरी मस्जिद कहते थे. हाशिम ने ये भी कहा कि जैसे मुसलामानों के लिए मक्का का महत्व है उसी तरह राम की वजह से हिन्दुओं के लिए अयोध्या का महत्व है.
  • पेज नंबर 112: प्वाइंट नंबर 163- अयोध्या में टेढ़ी बाजार निवासी 58 साल के हाजी महबूब अहमद ने गवाही दी कि मस्जिद के दक्षिणी हिस्से से लगे दिवाल वाले हिस्से को हम मस्जिद कहते थे, जबकि दूसरा पक्ष इसे मंदिर कहता था. बाउंड्री के पूरे हिस्से की ऊंचाई एक सामान थी.
  • पेज नंबर 112: प्लाइंट नंबर 164- 66 साल के मोहम्मद यासीन ने 07.10.1996 को गवाही दी थी कि मैं अयोध्या में रहता हूं, मेरी मुलाकात कुछ हिन्दुओं और पुजारियों से होती रही. हम उनसे शादी के सामरोह में भी मिले. उनका मानना था कि ये राम का जन्मस्थान है. हिन्दू इसे पवित्र स्थल मानते हैं इसलिए यहां पूजा करते हैं.
  • पेज नंबर 113: प्वाइंट नंबर 165- 74 साल के गवाह मोहम्मद क़ासिम ने इस बात की गवाही दी कि जिसे वो बाबरी मस्जिद कहते हैं हिन्दू उसे जन्मस्थान पुकारते थे.
  • पेज नंबर 113: प्वाइंट नंबर 166- गवाहों के बयान से ये साबित होता है कि जिस जगह पर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया वहीं राम का जन्मस्थान है. 3 गुम्बद वाली इमारत को ही राम का जन्मस्थान माना जाता रहा है. श्रद्धालुओं का पूजा करना और इमारत का परिक्रमा करना भी राम का जन्मस्थान ही साबित करता है.
  • पेज नंबर 114: प्वाइंट नंबर 167- मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने इस बात को माना कि गवाहों की गवाही में ये बात सामने आई कि राम का जन्मस्थान केंद्रीय गुम्बद के नीचे है, जबकि राम का जन्मस्थान राम चबूतरा वाला हिस्सा है. 1885 में महंत रघुबर दास की याचिका वाले फैसले में भी राम चबूतरा को ही राम का जन्मस्थान माना गया है.
  • पेज नंबर 115: प्वाइंट नंबर 169- तीन गुम्बदों वाली बाबरी मस्जिद का निर्माण राम के जन्मस्थान पर ही हुआ था.
  • पेज नंबर 116: प्वाइंट नंबर 170- डॉक्यूमेंट्री और ओरल एविडेंस से इस बात के सुबूत मिलते हैं कि बाबरी मस्जिद निर्माण के पहले से ही हिन्दुओं का ये विश्वास रहा है कि बाबरी मस्जिद वाली जगह पर ही राम का जन्मस्थान रहा है.
      
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