अफगानिस्तान की स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त होने के कगार पर है. तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद दो प्रमुख सहायता एजेंसियों ने अफगानिस्तान को धन देना बंद कर दिया है.रायटर्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक विश्व बैंक और यूरोपीय संघ सहित अंतर्राष्ट्रीय दानदाताओं ने अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से हटने और काबुल पर तालिबान के कब्जे के कुछ ही समय बाद अफगानिस्तान को धन देना बंद कर दिया था. विदेशी सहायता बंद होने से जहां अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल है वहीं जरूरी चीजों की आपूर्ति नहीं हो पाने से आवश्यक वस्तुओं की कमी पड़ने की भी संभावना है.
🔴Afghanistan's health system is close to a collapse after foreign donors froze aid following the Taliban takeover.
— Telegraph World News (@TelegraphWorld) September 7, 2021
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सिर मुड़ाते ही ओले पड़े की कहावत तालिबान पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है. 7 सितंबर को तालिबान ने अपने अंतरिम सरकार का ऐलान किया और दूसरे दिन ही इंटरनेशनल मीडिया में अफगानिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त होने की खबर सुर्खियों में है. संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पिछले महीने अपने शेष सैनिकों के बड़े हिस्से को वापस लेने के बाद, तालिबान ने अपने सैन्य अभियान को तेज कर दिया और 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर नियंत्रण कर लिया था.
देश की सबसे बड़ी चिकित्सा सहायता एजेंसियों में से एक, मेडेकिन्स सैन्स फ्रंटियरेस (एमएसएफ) के अफगानिस्तान प्रतिनिधि फिलिप रिबेरो ने कहा, "समर्थन की कमी के कारण यहां स्वास्थ्य प्रणाली के ध्वस्त होने का बड़ा खतरा है."
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"अफगानिस्तान की पूरी स्वास्थ्य प्रणाली वर्षों से कमतर, कम संसाधनों और न्यूनतम आर्थिक संसाधनों के साथ चल रही है. और बड़ा जोखिम यह है कि इस क्षेत्र में आगे भी अतिरिक्त धन प्राप्त करने की उम्मीद नहीं है. समय के साथ यह कमी जारी रहेगी."
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ द रेड क्रॉस एंड रेड क्रीसेंट (IFRC)के अफगानिस्तान प्रमुख नेसेफोर मघेंदी ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, जो पहले से ही नाजुक थी और विदेशी सहायता पर निर्भर थी, को अतिरिक्त तनाव में छोड़ दिया गया था. आज पूरे देश में स्वास्थ्य सेवा की बड़े पैमाने पर जरूरत है.
महीनों से अफगानिस्तान अराजकता का शिकार है. तालिबान के काबुल पर कब्जा के बाद से लंबे समय तक अफगानिस्तान में कोई सरकार अस्तित्व में नहीं रही. लिहाजा बैंक और बाजार बंद रहे. दोनों सहायता एजेंसियों का कहना है कि ऐसे हालात में जमीनी स्तर पर काम करना बड़ा मुश्किल था. उस दौरान मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गयी थी क्योंकि अन्य सुविधाएं पूरी तरह से काम करने में असमर्थ हैं.
मघेंदी ने कहा कि अफगान बैंकों के बंद होने का मतलब था कि लगभग सभी मानवीय एजेंसियां धन का उपयोग करने में असमर्थ रही हैं, जिससे विक्रेताओं और कर्मचारियों को भुगतान नहीं मिला है. इससे समस्या और जटिल हुई. चिकित्सा आपूर्ति को अब अपेक्षाकृत बहाल करना होगा.
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मघेंदी ने कहा, "जो आपूर्ति तीन महीने तक चलने वाली थी, वह तीन महीने तक नहीं चल पाएगी. हमें इससे बहुत पहले फिर से भरना पड़ सकता है."
रिबेरो ने कहा कि एमएसएफ ने अधिग्रहण से पहले चिकित्सा आपूर्ति का भंडार किया था,लेकिन उड़ानों के बाधित होने और अफगानिस्तान में अव्यवस्था के कारण, यह स्पष्ट नहीं था कि देश में और जरूरी आपूर्ति कब पहुंच सकेगी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को कहा कि 12.5 टन दवाओं और स्वास्थ्य आपूर्ति को लेकर एक विमान उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में उतरा था, जो तालिबान के नियंत्रण में आने के बाद इस तरह की पहली खेप है.
996-2001 के अपने पहले शासन काल में तालिबान ने विदेशी सहायता एजेंसियों के साथ अच्छा संबंध नहीं रखा था. इसलिए 1998 में एमएसएफ सहित कई वैश्विक संस्थाओं ने तालिबान को निष्कासित कर दिया था. लेकिन इस बार तालिबान कह रहा है कि वह विदेशी दानदाताओं का स्वागत करता है, और विदेशी और स्थानीय कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करेगा.
रिबेरो कहते हैं कि अगर तालिबान प्रतिबद्धता बरकरार रखता है और वे वास्तव में हमें रहने और काम करने के लिए बहुत आश्वस्त करने वाला है."
HIGHLIGHTS
- वैश्विक एजेंसियों ने अफगानिस्तान को धन देना किया बंद
- अफगानिस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमाराने के कगार पर
- अफगान बैंकों के बंद होने और तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद स्थिति हुई बदतर