भारत की जनसंख्‍या बढ़ाने में इन 4 राज्‍यों का बड़ा हाथ, हर महिला के पास औसतन 3 बच्‍चे

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी NFHS के 2015-16 के आंकड़ों के मुताबिक देश की जनसंख्‍या बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ उत्‍तर प्रदेश, नागालैंड, मेघालय और बिहार का है.

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Drigraj Madheshia
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भारत की जनसंख्‍या बढ़ाने में इन 4 राज्‍यों का बड़ा हाथ, हर महिला के पास औसतन 3 बच्‍चे

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर( Photo Credit : फाइल)

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी NFHS के 2015-16 के आंकड़ों के मुताबिक देश की जनसंख्‍या बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ उत्‍तर प्रदेश, नागालैंड, मेघालय और बिहार का है. जनसंख्‍या नियंत्रण कानून (Population Control Law) को लेकर देश भर में शुरू हुई नई बहस के बीच आपको जानकर यह आश्‍चर्य होगा कि भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्‍या में बिहार का योगदान पहले नंबर पर है. यहां शहरी ही नहीं बल्‍कि ग्रामीण महिलाओं की औसत प्रजनन दर प्रति महिला राष्‍ट्रीय आंकड़े से कहीं अधिक है.

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सबसे आगे बिहार

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी NFHS के 2015-16 के आंकड़ों को देखें तो जनसंख्या प्रति महिला 2.2 के करीब आ चुकी है. 2005-06 में यह 2.7 थी. यानी पहले की तुलना में अब प्रजनन दर में गिरावट आयी है. लेकिन अगर बिहार की बात करें तो यहां शहरी महिलाओं की औसत प्रजनन दर 2.4 है. जबकि अगर पूरे भारत की बात करें तो यह संख्‍या 1.8 है.

यह भी पढ़ेंः जनसंख्‍या नियंत्रण कानून (Population Control Law) के लिए प्रभावी नहीं होगी 2 चाइल्‍ड पॉलिसी! चीन से लें सबक

वहीं ग्रामीण महिलाओं की बात करें तो उनका प्रजनन दर 3.6 है जो पूरे भारत के इस वर्ग के आंकड़े 2.4 से डेढ़ गुना अधिक है. अगर शहरी और ग्रामीण दोनों महिलाओं की बात करें तो हर महिला औसतन 3.4 बच्‍चे पैदा करती है. 2005-06 में यह आंकड़ा 4 था. 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार की कुल जनसंख्या 104,099,452 है.बिहार का साक्षरता दर 61.80 % है.

मेघालय भी कम नहीं

2011 की जनगणना के मुताबिक मेघालय की कुल जनसंख्या 2,966,889 है जबकि साक्षरता 74.43 फीसद. इसके बावजूद यह राज्‍य प्रजनन दर प्रति महिला के मामले में दूसरे स्‍थान पर है. यहां परिवार नियोजन के मामले में शहरी महिलाएं तो जागरूक हैं पर ग्रामीण इलाकों में अभी भी जागरूकता की कमी है.

शहरी महिलाओं की प्रजनन दर प्रति महिला 1.7 है जबकि ग्रामीण इलाकों में यह दर 3.5 है. यानी हर ग्रामीण महिला के पास औसतन 3.5 बच्‍चे हैं. अगर दोनों क्षेत्रों की बात करें तो यह औसत आता है 3 का. मतलब पूरे देश में 2 से नीचे आ चुकी प्रजनन दर इस राज्‍य में अभी भी बहुत अधिक है.

नागलैंड का हाल

2011 की जनगणना के मुताबिक नागलैंड की जनसंख्‍या 1,978,502 है और साक्षरता 79.55 फीसद. प्रजनन दर में यह राज्‍य तीसरे नंबर पर है. यहां भी हाल मेघालय जैसा है. यहां की शहरी महिलाओं की प्रजनन दर 1.8 और ग्रामीण महिलाओं की 3.4 है, जबकि दोनों का औसत 2.7 है.

उत्‍तर प्रदेश का हाल बुरा

2011 की जनगणना के मुताबिक करीब 20 करोड़ की आबादी वाले इस सबसे बड़े प्रदेश का स्‍थान चौथे नंबर पर है. यहां की साक्षरता दर भले ही 67.68 फीसद हो पर इस राज्‍य की महिलाओं की प्रजनन दर बहुत अधिक है. यहां हर शहरी महिला औसतन 2 बच्‍चे पैदा करती है. प्रजनन दर प्रति शहरी महिला यहां 2.1 है, जबकि ग्रामीण महिलाओं की बात करें तो यहां हर महिला के पास औसतन 3 बच्‍चे हैं. जबकि दोनों का औसत 2.7 है.


यानी जनसंख्‍या नियंत्रण कानून (Population Control Law) को अगर लागू करने की सबसे ज्‍यादा जरूरत है तो इन चार राज्‍यों में . यहां 2 चाइल्‍ड पॉलिसी की सबसे ज्‍यादा जरूरत है. अगर पूरे भारत की बात करें तो बिना जनसंख्‍या नियंत्रण कानून (Population Control Law) के ही अधिकतर परिवार 2 चाइल्‍ड पॉलिसी के हिसाब से ही चल रहे हैं. बहुत सारे परिवार तो अब 'हम दो हमारा एक' पर आ गए हैं. सबसे पहले बात करते हैं आंकड़ों की नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी NFHS के 2015-16 के आंकड़ों को देखें तो जनसंख्या प्रति महिला 2.2 के करीब आ चुकी है. 2005-06 में यह 2.7 थी. यानी पहले की तुलना में अब प्रजनन दर में गिरावट आयी हैं.

यह भी पढ़ेंः 9 राज्‍यों में जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए लागू है टू चाइल्ड पॉलिसी, जानें कहां और किस रूप में है लागू

शहरी औरतों में यह दर 1.8 बच्‍चा प्रति महिला है जबकि ग्रामीण महिलाओं में 2.4. प्रजनन दर सिक्किम में सबसे कम 1.2 जबकि बिहार में सबसे ज्यादा 3.4 है. यानी बिना किसी कानून के ही शहरों में जनसंख्‍या नियंत्रण चल रहा .

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