खाने का जायका बढ़ाने वाला प्याज (Onion) जब भाव खाकर आम आदमी की आंखों से आंसू निकालने लगता है तो सत्ता में बैठे लोगों को भी रोना पड़ता है. इतिहास गवाह है कि जब-जब प्याज (Onion) के दाम बेलगाम हुए हैं, सरकारें सत्ता से बेदखल हुई हैं. कई बार प्याज (Onion) के दामों ने राजनीतिक तूफान खड़े किए हैं. भले ही इसके पीछे मौसम या फसल-चक्र की मेहरबानी रही हो, लेकिन इसने बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों को रुलाया है और सरकारें भी गिराई हैं. जब-जब प्याज (Onion) के दाम आसमान पर पहुंचे हैं, तब-तब किसी न किसी की कुर्सी हिली है. इस बार भी प्याज (Onion) देश के अधिकतर शहरों में 80 रुपये तक पहुंच गया है. दिल्ली में चुनाव कुछ महीने बाद होंगे और केजरीवाल सरकार ने खतरा भांपते हुए 22 रुपये किलो प्याज (Onion) बेचने लगी है.
प्याज (Onion) कीमत आसमान और सुषमा सरकर जमीन पर
साल 1998 में प्याज (Onion) के दाम आसमान छू रहे थे. केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार इसे काबू नहीं कर पाने में नाकाम रही. प्याज (Onion) के भाव बढ़ रहे थे और आम आदमी के आंखों से आंसू निकल रहे थे. इसी बीच दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए. तत्कालीन सुषमा स्वराज की सरकार ने जगह-जगह स्टॉल लगाकर सस्ते प्याज (Onion) (Onion) बेचा पर जनता के आंसू गुस्से में तब्दिल हो गया और शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस सत्ता में आ गई. 15 साल बाद यही इतिहास दोबारा दोहराया.
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ठीक यह हाल शीला दीक्षित के साथ भी हुआ. साल 2013 में प्याज (Onion) (Onion) के दाम में फिर से बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई, जिसके चलते शीला दीक्षित की सरकार चुनाव में बुरी तरह हारी. अक्तूबर 2013 को प्याज (Onion) की बढ़ी कीमतों पर सुषमा स्वराज की टिप्पणी थी कि यहीं से शीला सरकार का पतन शुरू होगा.
आपातकाल के बुरे दौर के बाद जब देश में जनता पार्टी की सरकार बनी थी तो यह सरकार अपने ही अंतर्विरोधों से लड़खड़ा जरूर रही थी, लेकिन फिर भी सत्ता से बेदखल हो चुकी इंदिरा गांधी के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं था. अचानक ही प्याज (Onion) की कीमतें बढ़ने लगीं तो उन्हें एक मुद्दा मिल गया. उनकी पार्टी ने इसका इस्तेमाल भी नाटकीय ढंग से किया.