प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच रार अभी भी बरकरार है. पाकिस्तान के हुक्मरान इमरान खान इसको लेकर परमाणु युद्ध (Nuclear War)तक की धमकी दे चुके हैं. उन्हें शायद इस बात का अंदाजा नहीं है कि परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons)से संपन्न दोनों देशों के बीच अगर ऐसा युद्ध हुआ तो पृथ्वी पर विनाश के अलावा कुछ नहीं बचेगा. मानव निर्मित खतरे में जब-जब दुनिया पड़ी है, 'कयामत की घड़ी ' यानी डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)हमे चेताती रही है. परमाणु वैज्ञानिकों के मुताबिक डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)मिडनाइट से 2 मिनट पहले पर लगातार 2 साल से रुकी है. इस घड़ी में टाइम सेट करने वाली टीम 16 नोबेल पुरस्कार जीत चुकी है. इसीलिए इस कयामत की घड़ी को काफी गंभीरता से लिया जाता है.
जब धरती के अस्तित्व को खतरा होता है तो इसकी मिनट की सुई को रात्रि 12 बजे के करीब कर दिया जाता है. जब संपन्नता होती है, तो इसके समय को बढ़ा दिया जाता है. 1953 में इसे 12 बजने में दो मिनट पहले तय किया गया था और 1991 में 17 मिनट पहले तय किया गया था. 24 जनवरी 2019- मानव निर्मित खतरे को बतानेवाली डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 2016 में चुनाव जीतने के बाद से डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)2017 और 2018 में दो बार 30 सेकेंड आगे तक की हरकत ले चुकी है. उस दौर में ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन के बीच तनातनी की खबरें काफी आम थीं.
क्या है डूम्सडे क्लॉक
डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)एक सांकेतिक घड़ी है जो मानवीय गतिविधियों के कारण वैश्विक तबाही की आशंका को बताती है. घड़ी में मध्यरात्रि 12 बजने को भारी तबाही का संकेत माना जाता है. 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में हुए हमले के बाद वैज्ञानिकों ने मानव निर्मित खतरे से विश्व को आगाह करने के लिए इस घड़ी का निर्माण किया गया था.
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इसके मुताबिक जब धरती के अस्तित्व को खतरा होता है तो इसकी मिनट की सुई को रात्रि 12 बजे के करीब कर दिया जाता है. जब संपन्नता होती है, तो इसके समय को बढ़ा दिया जाता है. 1953 में इसे 12 बजने में दो मिनट पहले तय किया गया था और 1991 में 17 मिनट पहले तय किया गया था.
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अगर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे तनाव और परमाणु युद्ध (Nuclear War)की आशंका की बात करें तो अभी इस घड़ी की सुइयों को आगे नहीं किया गया है. मतलब साफ है कि दोनों देश इस स्थिति में नहीं हैं कि एक दूसरे पर न्यूक्लियर अटैक कर सकें. हालांकि अगर बात दुनिया की करें तो हाल ही में ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी युद्ध का खाका खींच रही थी. वहीं कुछ साल पहले उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच भी न्यूक्लियर वॉर की नौबत आ गई थी. दुनिया के विनाश के लिए रखे हथियारों की बात करें तो सबसे ज्यादा रूस के पास है.
कौन-कौन से देश परमाणु संपन्न हैं
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