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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। भादपद्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य सिंह राशि में रहेंगे और चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे।
दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
हिंदू चंद्र कैलेंडर में षष्ठी तिथि एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो चंद्र मास के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में आती है। यह तिथि भगवान कार्तिकेय को समर्पित है और इसे स्कन्द कुमार के नाम से भी जाना जाता है।
स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को तारकासुर नाम के दैत्य का वध किया था, जिसके बाद इस तिथि को स्कंद षष्ठी के नाम से मनाया जाने लगा। इस जीत की खुशी में देवताओं ने स्कंद षष्ठी का उत्सव मनाया था।
इस दिन जो दंपति संतान सुख से वंचित हैं, उन्हें स्कंद षष्ठी का व्रत अवश्य करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को शुरू करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद आसन बिछाएं, फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसके ऊपर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा को स्थापित करें। अब व्रत का संकल्प लेने के बाद कार्तिकेय भगवान के वस्त्र, इत्र, चंपा के फूल, आभूषण, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें। भगवान कार्तिकेय का प्रिय पुष्प चंपा है, इस वजह से इस दिन को स्कंद षष्ठी, कांडा षष्ठी के साथ चंपा षष्ठी भी कहते हैं।
भगवान कार्तिकेय की आरती और तीन बार परिक्रमा करने के बाद “ॐ स्कन्द शिवाय नमः” मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम कर प्रसाद ग्रहण करें।
--आईएएनएस
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