नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। सिक्किम में आए भीषण भूस्खलन के मलबे में भारतीय सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल, उनके परिवार और तीन अन्य सैन्यकर्मियों के दबे होने की आशंका है। यहां भूस्खलन आए करीब 72 घंटे का समय हो चुका है, लेकिन खराब मौसम के कारण राहत और बचाव कार्यों में बाधा आ रही है।
भारतीय सेना के मुताबिक, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रीतपाल सिंह संधू, उनकी पत्नी स्क्वाड्रन लीडर आरती संधू (सेवानिवृत्त), उनकी बेटी अमायरा, सुबेदार धर्मवीर, नाइक सुनीलाल मुचाहार और सिपाही साइनुद्दीन पी.के. सिक्किम में भूस्खलन वाले स्थान पर मौजूद थे। घटना के बाद से ये सभी व्यक्ति लापता हैं।
दरअसल, 1 जून को सिक्किम में भारतीय सेना का एक कैंप भूस्खलन की चपेट में आ गया। इस हादसे के बाद सेना के तीन जवानों की मौत हो गई थी। वहीं, छह अन्य व्यक्ति अभी तक लापता हैं। सेना ने बताया कि 1 जून की शाम लगभग 7 बजे लाचेन जिले के चेटेन इलाके में स्थित भारतीय सेना के सैन्य शिविर पर विनाशकारी भूस्खलन हुआ। मूसलधार बारिश को इस भूस्खलन का कारण माना जा रहा है। राहत और बचाव कार्यों में जुटे सैनिकों ने चार व्यक्तियों को सुरक्षित बचाया था।
भूस्खलन की इस दुखद घटना में तीन वीर जवानों हवलदार लखविंदर सिंह, लांस नायक मनीष ठाकुर और पोर्टर अभिषेक लाखड़ा के पार्थिव शरीर बरामद किए गए थे। सेना का कहना है कि बचाव टीमें कठिन भू-भाग और प्रतिकूल मौसम की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लापता छह व्यक्तियों की तलाश और बचाव कार्य में जुटी हैं।
इधर, आपदा की इस विकट परिस्थिति में भारतीय सेना स्थानीय नागरिकों और फंसे हुए पर्यटकों की सहायता के लिए आगे आई है। सेना अत्यंत विषम परिस्थितियों में भी लगातार राहत और बचाव कार्य कर रही है। क्षेत्र का प्रमुख पर्यटन केंद्र लाचेन गांव भूस्खलन के कारण पूरी तरह से बाहरी संपर्क से कट चुका है। सेना ने वहां पैदल संपर्क स्थापित कर लिया है और अब तक 113 फंसे हुए पर्यटकों तक पहुंच बना ली गई है, जिन्हें वहां से निकाला जा रहा है।
वहीं, 3 जून को सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से 30 पर्यटकों को सुरक्षित एयरलिफ्ट किया गया है। साथ ही, सेना के कैंप पर भूस्खलन की चपेट में आने से लापता हुए छह लोगों की तलाश के लिए भी युद्धस्तर पर सर्च ऑपरेशन जारी है। सेना ने विशेषीकृत खोजी दलों और इंजीनियरिंग उपकरणों को इस अभियान में तैनात किया है। हालांकि, लगातार खराब मौसम, अस्थिर भूमि और अत्यधिक ऊंचाई जैसे चुनौतीपूर्ण हालात राहत कार्यों में बाधा डाल रहे हैं।
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