श्रावण मास : नक्त व्रत रखते हुए शिवभक्‍त सूर्यास्‍त के बाद करते हैं भोजन : पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत

श्रावण मास : नक्त व्रत रखते हुए शिवभक्‍त सूर्यास्‍त के बाद करते हैं भोजन : पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत

श्रावण मास : नक्त व्रत रखते हुए शिवभक्‍त सूर्यास्‍त के बाद करते हैं भोजन : पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत

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IANS
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श्रावण मास : नक्त व्रत रखते हुए शिवभक्‍त सूर्यास्‍त के बाद करते हैं भोजन : पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्‍ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)। श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए श्रावण मास को महत्‍वपूर्ण माना जाता है। श्रावण मास को लेकर दिल्‍ली के कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विधिवत पूजन का विधान बताया। उन्‍होंने कहा कि शिव भक्त पूरे महीने नक्त व्रत रखते हैं, यानी दिन भर उपवास रखने के बाद सूर्यास्‍त के बाद एक समय भोजन करते हैं।

कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि इस साल श्रावण मास 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। भगवान शिव की पूजा के लिए श्रावण मास का विशेष महत्व है। इस दौरान शिव भक्त पूरे महीने नक्त व्रत रखते हैं यानी दिनभर उपवास रखने के बाद सूर्यास्‍त के बाद एक समय भोजन करते हैं।

पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शिव आराधना की विधि के बारे में बताते हुए कहा कि सोमवार को विशेष रूप से भगवान शिव का पूजन करते हैं, इसके बाद शिव पंचाक्षरी मंत्र (ऊं नम: शिवाय ) का जप करते हैं। जो शिव भक्‍त समर्थ हैं वह स्‍वयं या वैदिक विद्वानों को बुलाकर सोमवार को भगवान शिव का षोडशोपचार से पूजन करते हैं। इस दौरान पूरे शिव परिवार (गणेश, अंबिका,स्‍वामी कार्तिकेय,नंदी) की पूजा अर्चना की जाती है। पूजा अर्चना के दौरान भगवान को भांग, धतूरा आदि अर्पण किया जाता है। भगवान शिव को पंचामृत और दूध की धारा से स्‍नान कराया जाता है।

उन्‍होंने कांवड़ यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि श्रावण मास में कांवड़िये गोमुख और हरिद्वार से गंगाजल लाकर शिवरात्रि के दिन भगवान को अर्पण करते हैं। इस साल श्रावण की शिवरात्रि 23 जुलाई को पड़ रही है। इसके बाद जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त 3 बजकर 35 मिनट के बाद शुरू होगा। श्रद्धालु शिव की आराधना कर परिवार में सुख समृद्धि की कामना करते हैं। भगवान शिव की कृपा से अनुष्‍ठान करने वालों के घरों में निश्चित रूप से समृद्धि आती है और जीवन सुखमय बन जाता है।

सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा। इस बार सावन के महीने में 4 सोमवार आएगा। 29 जुलाई को इसी के साथ नागपंचमी का भी त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन सर्प दोष से मुक्ति के लिए जातक को शिवालय जाकर धातु के बने नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए और महादेव से आशीर्वाद मांगना चाहिए। इसके साथ ही सावन की पूर्णिमा 9 अगस्त को पड़ेगी।

--आईएएनएस

एएसएच/

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