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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। आगे बढ़ने की चाह में आज के समय में लोगों ने क्वालिटी लाइफ जीना छोड़ दिया है। काम का दबाव, आगे बढ़ने की चाह, बढ़ती महंगाई में परिवार के पालन-पोषण का तनाव, ऐसे कई फैक्टर्स हैं, जिनसे लगातार तनाव बना रहता है।
यही तनाव शरीर को अंदर से कमजोर कर देता है। ऐसे में हाई बीपी की दिक्कत लोगों को कम उम्र में ही परेशान करने लगी है। ऐसे में हाई बीपी को कंट्रोल करने के लिए कुछ उपाय आपकी जीवनशैली में बदलाव के साथ आ सकते हैं।
हाइपरटेंशन शरीर के लिए साइलेंट किलर की तरह काम करता है, जो शरीर के बाकी अंगों पर अपना असर दिखाकर उन्हें कमजोर कर देता है। हाइपरटेंशन सिर्फ तनाव से ही नहीं बल्कि ज्यादा शराब पीने, जंक फूड खाने, ज्यादा नमक का सेवन, किडनी में परेशानी होने पर या आनुवंशिकता की वजह से भी हो सकता है।
हाइपरटेंशन यहीं नहीं रुकता, इसके ज्यादा बढ़ने से हृदय रोग, ब्रेन स्ट्रोक, गुर्दे की बीमारी, और नजर तक कमजोर हो सकती हैं, तो इसे बिल्कुल भी सामान्य न समझें। जीवनशैली में बदलाव लाकर काफी हद तक इस पर काबू पाया जा सकता है। अगर किसी को हाइपरटेंशन की समस्या है तो सांस से जुड़े व्यायाम करें। इसके अलावा खूब सारा पानी पीते रहें। इसमें शरीर को हाइड्रेटेड रखने की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। साथ-साथ समय मिलने पर पैरों को गर्म पानी में डुबोकर रख सकते हैं, इससे शरीर का ब्लड फ्लो अच्छा रहता है और रक्त धमनियों पर दबाब कम पड़ता है।
कुछ आयुर्वेदिक मसालों के जरिए भी हाई बीपी को कंट्रोल किया जा सकता है। ये सारी चीजें आपकी किचन में ही मौजूद हैं, जैसे आंवला। आंवला में बहुत सारे एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन सी होते हैं, जो दिल और धमनियों को मजबूती देते हैं। आंवला का सेवन सुबह खाली पेट शहद के साथ करना चाहिए। इससे हाई बीपी के साथ पेट से जुड़े रोगों से भी मुक्ति मिलेगी।
मेथी और अजवाइन का पानी भी हाई बीपी को कम करने में मदद करता है। रात में मेथी और अजवाइन को अलग-अलग भिगोकर सुबह ले सकते हैं। दोनों को साथ में लेने से बचें, बल्कि अल्टरनेट डेज पर लें। इसके अलावा, अर्जुन की छाल का काढ़ा या गिलोय का काढ़ा भी हाई बीपी को नियंत्रित करता है। अर्जुन के पेड़ की छाल को आयुर्वेद में हृदय रोग और बीपी जैसी समस्या के लिए दवा माना गया है, हालांकि रोज इसे पीने से बचें।
जीवनशैली में बदलाव भी हाई बीपी को नियंत्रित करता है। रोजाना 30 मिनट तक जरूर चलें। कोशिश करें कि पार्क में घास पर चलें। इससे शरीर को प्राकृतिक हवा मिलती है और शरीर अंदर से तरोताजा महसूस करता है।
--आईएएनएस
पीएस/एबीएम
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