शराब हर साल 8 लाख यूरोपीय लोगों की जान ले रही: डब्ल्यूएचओ की चेतावनी

शराब हर साल 8 लाख यूरोपीय लोगों की जान ले रही: डब्ल्यूएचओ की चेतावनी

शराब हर साल 8 लाख यूरोपीय लोगों की जान ले रही: डब्ल्यूएचओ की चेतावनी

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IANS
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WHO formally labels artificial sweetener aspartame a 'possible carcinogen'

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यूरोप में शराब के बढ़ते और घातक प्रभावों को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। संगठन के अनुसार, यूरोप क्षेत्र में हर साल लगभग 8 लाख लोगों की मौत शराब के सेवन से जुड़ी बीमारियों और दुर्घटनाओं के कारण हो रही है। यह आंकड़ा न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गहरे प्रभावों को उजागर करता है।

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2019 डेटा (जो लेटेस्ट आंकड़ा है) को आधार बना डब्ल्यूएचओ ने ये भयावह सच उजागर किया है। इसके मुताबिक यूरोप में लगभग 1,45,000 लोगों की मौत शराब पीकर लगी चोट की वजह से हुई।

संगठन के अनुसार, शराब पीना आपसी हिंसा से भी जुड़ा हुआ है, जिसमें हमले और घरेलू हिंसा शामिल हैं, और इसे पूरे यूरोप में हिंसक चोटों से होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण माना गया है।

डब्ल्यूएचओ/यूरोप में अल्कोहल, गैर-कानूनी ड्रग्स और जेल हेल्थ की रीजनल एडवाइजर कैरिना फरेरा-बोर्गेस ने बताया, “शराब एक जहरीली चीज है जो न सिर्फ 7 तरह के कैंसर और दूसरी नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियां (एनसीडी) पैदा करती है, बल्कि यह फैसले लेने और खुद पर कंट्रोल करने की क्षमता को भी कम करती है, रिएक्शन टाइम को धीमा करती है, तालमेल कम करती है और रिस्क लेने की आदत को बढ़ावा देती है। ”

शराब से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में हृदय रोग, लिवर सिरोसिस, विभिन्न प्रकार के कैंसर (जैसे स्तन और आंत का कैंसर), सड़क दुर्घटनाएं, हिंसा और आत्महत्या शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, शराब का दुरुपयोग युवाओं और कामकाजी उम्र के लोगों में समय से पहले मौत का बड़ा कारण बन रहा है, जिससे देशों की उत्पादकता और स्वास्थ्य प्रणालियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि यूरोप दुनिया के उन क्षेत्रों में शामिल है जहां प्रति व्यक्ति शराब की खपत सबसे अधिक है। कई देशों में शराब सामाजिक जीवन और संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है, लेकिन इसके दुष्परिणाम अक्सर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि “शराब की कोई भी मात्रा पूरी तरह सुरक्षित नहीं है,” क्योंकि यह कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों के खतरे को बढ़ाती है।

डेटा से पता चलता है कि पूर्वी यूरोप में इसका असर सबसे ज्यादा है। शराब पीकर हादसे में लगी चोट के कारण जान गंवाने वालों की संख्या यहां (पूरे यूरोप के मुकाबले) आधे से भी ज्यादा है, जबकि पश्चिमी और दक्षिणी यूरोप में यह 20 फीसदी से भी कम है।

रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया है कि शराब का प्रभाव केवल पीने वाले व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता। परिवारों में घरेलू हिंसा, बच्चों पर नकारात्मक असर, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, और सामाजिक अस्थिरता जैसे मुद्दे भी इससे गहराई से जुड़े हैं। इसके अलावा, शराब से जुड़ी बीमारियों के इलाज पर होने वाला खर्च सरकारों के लिए एक बड़ी आर्थिक चुनौती है।

2019 में यूरोप में करीब 26,500 मौतों की वजह एक दूसरे पर हमला करना रहा , और इनमें से 40 फीसदी हिंसा की वजह शराब रही।

संगठन ने यूरोपीय देशों से शराब नियंत्रण को लेकर सख्त नीतियां अपनाने की अपील की है। प्रभावी कदमों में शराब पर कर बढ़ाना, विज्ञापन और प्रायोजन पर रोक, बिक्री के समय और स्थान को सीमित करना तथा लेबल पर स्वास्थ्य संबंधी स्पष्ट चेतावनियां शामिल हैं। इसके साथ ही, जन-जागरूकता अभियानों के जरिए यह संदेश देना जरूरी है कि शराब का सेवन “कम जोखिम” नहीं, बल्कि “स्वास्थ्य जोखिम” से जुड़ा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि यदि सरकारें वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित नीतियां लागू करें, तो आने वाले वर्षों में शराब से होने वाली मौतों और बीमारियों में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि शराब को लेकर सामाजिक सोच में बदलाव और मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियां ही इस गंभीर संकट से निपटने का सबसे प्रभावी रास्ता हैं।

--आईएएनएस

केआर/

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