शाही ईदगाह मस्जिद विवादित ढांचा मामले में सुप्रीम कोर्ट का करेंगे रुख :  प्रतिवादी सोलन लाल आर्य

शाही ईदगाह मस्जिद विवादित ढांचा मामले में सुप्रीम कोर्ट का करेंगे रुख :  प्रतिवादी सोलन लाल आर्य

शाही ईदगाह मस्जिद विवादित ढांचा मामले में सुप्रीम कोर्ट का करेंगे रुख :  प्रतिवादी सोलन लाल आर्य

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IANS
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शाही ईदगाह मस्जिद विवादित ढांचे मामले में सुप्रीम कोर्ट का करेंगे रुख :  प्रतिवादी सोलन लाल आर्य

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

वाराणसी/मथुरा, 4 जुलाई (आईएएनएस)। मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद विवादित ढांचा मामले में हिंदू पक्ष की याचिका को यूपी हाईकोर्ट की इलाहाबाद बेंच ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद के प्रतिवादी सोलन लाल आर्य ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कही।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद के प्रतिवादी सोलन लाल आर्य ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, हाईकोर्ट के फैसले से कोई निराशा की बात नहीं है। हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में विश्वास करते हैं। उच्च न्यायालय का जो निर्णय आया, उसमें 18 वादी हैं, जिसमें से एक वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने याचिका दाखिल की थी कि परिसर को विवादित ढांचा कहा जाए, लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया।

उन्होंने बताया, श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास 11 एकड़, वहीं शाही ईदगाह के पास 2.77 एकड़ भूमि है। वहीं, उच्च न्यायालय ने दोनों को अलग-अलग ही मानना मुनासिब समझा। हालांकि इसके खिलाफ माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी।

इससे पहले न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत ने वादी महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल अर्जी एप्लीकेशन ए-44 को खारिज कर दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की कोर्ट ने शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। साथ ही निर्णय के लिए चार जुलाई की तारीख तय की थी।

उल्लेखनीय है कि हिंदू पक्ष ने याचिका में कहा था कि शाही ईदगाह की जगह पहले मंदिर था। वहां पर मस्जिद होने का कोई भी साक्ष्य आज तक मुस्लिम पक्ष कोर्ट में पेश नहीं कर सका, जिसे मस्जिद कहा जा रहा है। उसकी दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं। किसी की जमीन पर अतिक्रमण करके बैठ जाने से, वह जमीन उसकी नहीं हो जाती है। न ही जमीन से जुड़ी खसरा-खतौनी में मस्जिद का नाम है। न नगर निगम में कोई रिकॉर्ड है और न ही टैक्स दिया जा रहा है। फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए?

वहीं, मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति में कहा था कि हिंदू पक्ष की मांग सरासर गलत है। 400 सालों से यह शाही ईदगाह है, इसलिए इसे विवादित ढांचा घोषित करने की मांग को खारिज किया जाना चाहिए।

--आईएएनएस

एससीएच/जीकेटी

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