सेहत के लिए 'अलार्म' है पेट में बनने वाला अम्ल, इसमें असंतुलन से मिलता है बीमारियों को न्यौता

सेहत के लिए 'अलार्म' है पेट में बनने वाला अम्ल, इसमें असंतुलन से मिलता है बीमारियों को न्यौता

सेहत के लिए 'अलार्म' है पेट में बनने वाला अम्ल, इसमें असंतुलन से मिलता है बीमारियों को न्यौता

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IANS
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सेहत के लिए 'अलार्म' है पेट में बनने वाला अम्ल, असंतुलन देगा बीमारियों को न्यौता

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। हमारा पेट खाने पचाने का काम करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाने पचाने के लिए अम्ल (एसिड) बनना जरूरी होता है।

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आमतौर पर, शरीर में अम्ल का बनना हानिकारक हो सकता है, लेकिन पेट में बनने वाला अम्ल किसी जादू से कम नहीं है। यह भोजन को तेजी से पचाने में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, यह संतुलन महत्वपूर्ण है: इस अम्ल का कम या अधिक बनना, दोनों ही अवस्थाएं शरीर के स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती हैं।

पेट में बनने वाला पाचक अम्ल मुख्य रूप से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और पेप्सिन का मिश्रण होता है। यह मिश्रण हमारे लिए एक तरह से अलार्म का काम करता है। जब पेट खाली होता है और आपको भूख लगती है, तो पेट से जो गुरगुराहट की आवाज आती है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि अब शरीर को भोजन की आवश्यकता है। पेट का अम्ल खाना पचाने, प्रोटीन को तोड़कर रक्त में मिलाने, भोजन के बैक्टीरिया को खत्म करने और अच्छे पोषक तत्वों को शरीर में अवशोषित करने का काम करता है। ये काम तभी ठीक प्रक्रिया से हो पाता है जब अम्ल सही समय और मात्रा में बने।

पेट में बनने वाला अम्ल हमारे पेट को नुकसान नहीं पहुंचाता, जब तक पेट के भीतरी हिस्से पर बनी म्यूकस लाइनिंग सुरक्षित है। ज्यादा मसालेदार, ज्यादा खट्टा और दूषित खाना खाने से म्यूकस लाइनिंग टूट जाती है और पेट में बनने वाला अम्ल पेट को ही नुकसान पहुंचाने लगता है। ऐसे में पेट में दर्द, जलन और अल्सर होने का खतरा रहता है। विज्ञान और आयुर्वेद में तभी इसी बात पर जोर दिया गया है कि रात का खाना हमेशा हल्का रखना चाहिए। रात के समय ही पाचन की दिक्कत के बाद हार्टबर्न और एसिडिटी की समस्या बन जाती है।

पेट में बनने वाले अम्ल को संतुलित करने के बहुत सारे तरीके हैं। तनाव और चिंता होने पर पेट में बनने वाला अम्ल बुरी तरीके से प्रभावित होता है। ये अम्ल को बढ़ाने और कम करने का काम करता है। इसके अलावा सौंफ और मिश्री का सेवन करना पेट की जठराग्नि के लिए अच्छा होता है। खाना खाने के बाद टहलने के साथ सौंफ और मिश्री का सेवन करें। ये पेट को ठंडा करती है। लस्सी और अजवाइन दोनों ही पेट के अम्ल के लिए अच्छी होती हैं। ये दोनों मिलकर अम्ल को संतुलित करती है और पाचन में भी मदद करती हैं। इसके अलावा धनिया का पानी, एलोवेरा जूस और नींबू पानी भी अम्ल को संतुलित करने में मदद करते हैं।

--आईएएनएस

पीएस/एएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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