क्या आपको मालूम है कि, इंसान अपने नाम के हिसाब से अपना रूप बदल लेता है! जी हां.. ये सच है, जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक हालिया स्टडी में इसका खुलासा हुआ है. इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने 9 से 10 साल के बच्चों और वयस्कों को नामों के साथ चेहरे मिलान करने के लिए कहा, जिसके परिणाम बेहद ही चौंकाने वाले रहे...
अध्ययन से पता चला कि, दोनों आयु समूहों: वयस्कों और 9-10 साल के बच्चे ने वयस्क चेहरों को उनके सही नामों के साथ ठीक तरह से
जोड़कर दिखाया है. हालांकि दूसरी ओर जब बच्चों के चेहरों को नामों के साथ मिलाया गया, तो परिणाम काफी गलत रहा. दोनों ही आयु समूहों के प्रदर्शन में जुड़ाव की सटीकता काफी रही.
एक्सपर्ट्स का क्या है कहना?
इजराइल में रीचमैन विश्वविद्यालय के अध्ययन लेखक और विपणन विशेषज्ञ योनाट ज़्वेबनेर बताते हैं कि, इस स्टडी के जरिए उन्होंने दिखाया है कि, सामाजिक निर्माण, या संरचना का फर्क पड़ता है.
ज़्वेबनेर ने बताया कि, "सामाजिक संरचना इतनी मजबूत है कि यह किसी व्यक्ति की मौजूदगी को प्रभावित कर सकती है. ये निष्कर्ष इस बात का संकेत देते हैं कि, लिंग या जातीयता जैसे अन्य व्यक्तिगत कारक किस हद तक बड़े होकर लोगों को आकार दे सकते हैं, जो नामों से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं."
क्या बताती है स्टडी?
शोधकर्ताओं ने इस स्टडी से निष्कर्ष निकाला कि, जन्म के समय दिए गए नाम "सामाजिक टैग" हैं जो किसी इंसान की रूप-रेख बदलने में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. जैसे-जैसे साल बीतते हैं, लोग अपने नाम से जुड़ी विशेषताओं और अपेक्षाओं को आत्मसात कर सकते हैं, उन्हें "जानबूझकर या अनजाने में, अपनी पहचान और पसंद में" अपनाते हैं.
स्टडी में पाया गया कि, हम सामाजिक प्राणी हैं जो पालन-पोषण से प्रभावित होते हैं: हमारे सबसे अनोखे और व्यक्तिगत शारीरिक घटकों में से एक, हमारे चेहरे की बनावट, एक सामाजिक कारक, हमारे नाम से आकार ले सकती है.