Research: क्या बिगड़ रहा है धरती के अंदर का तापमान? वैज्ञानिकों ने शोध में बताई ये खास बात

Research: मोटी परत में गर्मी फंस जाती है और उसे बाहर निकलने में अधिक समय लगता है. इसी कारण धरती के दोनों हिस्सों में ठंडा होने की रफ्तार अलग-अलग है.

Research: मोटी परत में गर्मी फंस जाती है और उसे बाहर निकलने में अधिक समय लगता है. इसी कारण धरती के दोनों हिस्सों में ठंडा होने की रफ्तार अलग-अलग है.

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Yashodhan Sharma
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Research on Earth

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Research: धरती बाहर से शांत दिखाई देती है, लेकिन उसके भीतर लगातार ऊर्जा की हलचल चलती रहती है. नई वैज्ञानिक रिसर्च में दावा किया गया है कि हमारा ग्रह दोनों ओर समान रफ्तार से ठंडा नहीं हो रहा है. खासकर वह हिस्सा, जिसके नीचे विशाल प्रशांत महासागर फैला है, बाकी हिस्सों के मुकाबले ज्यादा तेजी से अपना तापमान खो रहा है.

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क्या है पीछे की साइंस

समुद्रों के नीचे की सतह, जिसे ओशैनिक क्रस्ट कहा जाता है, पतली होती है और लगातार नई बनती रहती है. यह परत ऊपर से ठंडे समुद्री पानी से ढकी रहती है. इसलिए यह हिस्सा बहुत जल्दी गर्मी बाहर निकाल देता है. इसके उलट धरती की महाद्वीपीय परत यानी कॉन्टिनेंटल क्रस्ट काफी मोटी और पुरानी है. मोटी परत में गर्मी फंस जाती है और उसे बाहर निकलने में अधिक समय लगता है. इसी कारण धरती के दोनों हिस्सों में ठंडा होने की रफ्तार अलग-अलग है.

तापमान में बदलाव का मेंटल पर प्रभाव

इस असमान ठंडक का असर धरती की गहरी परतों तक पहुंचता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में बदलाव से मेंटल का बहाव बदल जाता है. मेंटल का यही बहाव तय करता है कि नई भूमि-पपड़ी कहां बनेगी और पुरानी पपड़ी कहां धरती के भीतर धंसेगी. यह प्रक्रिया टेक्टोनिक प्लेटों की गति, ज्वालामुखियों की गतिविधि और भूकंप के स्वरूप को प्रभावित करती है.

रिंग ऑफ फायर क्या है

प्रशांत महासागर वाला इलाका पहले से ही रिंग ऑफ फायर के नाम से जाना जाता है, जहां भूकंप और ज्वालामुखी अधिक सक्रिय रहते हैं. अब शोधकर्ता मानते हैं कि इस क्षेत्र की तीव्र गतिविधि के पीछे धरती का इसी तरह असमान गति से ठंडा होना भी एक कारण हो सकता है. यह खोज वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करती है कि करोड़ों साल पहले धरती कैसी थी, कैसे बदली और भविष्य में कैसी हो सकती है.

 इंसानी जीवन के पैमाने पर कैसा असर

हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया का पृथ्वी के मौसम या सतही तापमान पर कोई सीधा असर नहीं पड़ता. धरती के भीतर का ठंडा होना बहुत धीमी प्रक्रिया है, जो लाखों–करोड़ों वर्षों में असर दिखाती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानी जीवन के पैमाने पर इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ने वाला. हमारे मौसम और तापमान का नियंत्रण सूरज, हवा, बादल और समुद्री धाराएं करती हैं. धरती के भीतर की ठंडक सिर्फ उसकी भूगर्भीय बनावट और इतिहास को समझने की कुंजी है.

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