हिंदी राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर मचे बवाल के बाद जोमैटो ने दी सफाई
हिंदी राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर मचे बवाल के बाद जोमैटो ने दी सफाई
नई दिल्ली:
ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी जोमैटो को राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, जिसके बाद कंपनी ने मंगलवार को एक स्पष्टीकरण जारी किया है।कंपनी की ओर से तमिलनाडु के एक ग्राहक को कथित तौर पर बताया गया था कि हिंदी राष्ट्रभाषा है, जिस पर इसे आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
विकास नाम के एक जोमैटो यूजर ने सोमवार को स्क्रीनशॉट के साथ एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके ऑर्डर में एक आइटम गायब है और भाषाई समस्या के कारण उन्हें रिफंड नहीं मिल पा रहा है। इसके बाद, माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पर ग्राहकों पर भाषा थोपने के लिए कंपनी की आलोचना करने वालों की बाढ़ सी आ गई।
सीईओ दीपिंदर गोयल ने लिखा, एक खाद्य वितरण कंपनी के एक सहायता केंद्र में किसी की अनजाने में हुई गलती एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गई। हमारे देश में सहिष्णुता और ठंडक बरतने का स्तर आजकल की तुलना में कहीं अधिक होना चाहिए। यहां किसे दोषी ठहराया जाए?।
जिस ग्राहक सेवा प्रतिनिधि के साथ यूजर ने संचार किया था, उसने उसे बताया कि वह धनवापसी प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन भाषा बाधा बनी हुई है।
जवाब में, विकास ने कहा कि चूंकि जोमैटो तमिलनाडु में उपलब्ध है, इसलिए उन्हें ऐसे लोगों से जुड़ना चाहिए, जो भाषा में धाराप्रवाह हैं।
सीईओ ने कहा कि हम सभी को एक-दूसरे की खामियों को सहन करना चाहिए और हम एक दूसरे की भाषा और क्षेत्रीय भावनाओं की कद्र करते हैं।
गोयल ने यह भी कहा कि कंपनी के कॉल सेंटर एजेंट युवा हैं, जो अपने सीखने की अवस्था और करियर की शुरुआत में हैं। वे भाषाओं और क्षेत्रीय भावनाओं के विशेषज्ञ नहीं हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जोमैटो तमिलनाडु से उतना ही प्यार करता है, जितना वह देश के बाकी हिस्सों से करता है।
उन्होंने कहा, तमिलनाडु - हम आपसे प्यार करते हैं। जितना हम देश के बाकी हिस्सों से प्यार करते हैं। अधिक नहीं, कम नहीं। जितना हम अलग हैं, उतना ही हम सभी एक जैसे हैं।
गोयल ने कहा कि कंपनी ने ग्राहक सेवा एजेंट को बर्खास्त नहीं किया है।
गोयल ने लिखा, हम एजेंट को बहाल कर रहे हैं - यह अकेले ऐसी चीज नहीं है, जिसके लिए उसे निकाल दिया जाना चाहिए था। वह आसानी से सीख सकती हैं और आगे बढ़ने के बारे में बेहतर कर सकती हैं।
बता दें कि तमिलनाडु में रहने वाले एक शख्स ने आरोप लगाया कि जोमैटो एक्जीक्यूटिव ने पैसे रिफंड करने के लिए हुई बातचीत में उससे हिंदी सीखने को कहा। स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए विकास नाम के शख्स ने लिखा कस्टमर केयर का कहना है कि मेरा रिफंड इसलिए नहीं किया क्योंकि मुझे हिंदी नहीं आती। उसने मुझे झूठा भी करार दे दिया।
आरोप है कि जोमैटो कर्मचारी ने यह भी कहा कि हिंदी तो एक राष्ट्रभाषा है और यह सभी को थोड़ी-बहुत तो आनी ही चाहिए।
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