logo-image

X-ray, AI मिलकर Covid का तेजी से पता लगाने में मददगार

इसकी बड़ी खासियत यह है कि स्वाब या लार से जुड़े नैदानिक परीक्षणों में जो समय लगता है, उसकी तुलना में अधिकांश एक्स-रे इमेज मिनटों के भीतर उपलब्ध हो जाती हैं.

Updated on: 27 Mar 2021, 09:46 AM

highlights

  • कोविड-19 रोगियों के लिए एक्स-रे एक अग्रणी नैदानिक उपकरण
  • अधिकांश एक्स-रे इमेज मिनटों के भीतर उपलब्ध हो जाती हैं
  • एक मुफ्त ऑनलाइन मंच विकसित करने का भी लक्ष्य

रियो डी जनेरियो:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से कोविड-19 (Covid-19) रोगियों के लिए एक्स-रे एक अग्रणी नैदानिक उपकरण हो सकता है. शोधकर्ताओं के एक दल ने यह दावा किया है. आईईई/सीएए जर्नल ऑफ ऑटोमैटिका सिनिका में प्रकाशित निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि शोध टीम ने कोविड-19 का पता लगाने के लिए कई अलग-अलग मशीन लर्निंग (एमएल) विधियों का इस्तेमाल किया, जिनमें से दो का परिणाम क्रमश: 95.6 प्रतिशत और 98.5 प्रतिशत रेटिंग के साथ सामने आया है. यूनिवर्सिडेड डे फोटार्लेजा के शोधकर्ता विक्टर हूगो ने एक बयान में कहा, 'हमने जांच करने का फैसला किया है कि क्या कोविड-19 संक्रमण का एक्स-रे इमेज का उपयोग करके स्वचालित रूप से पता लगाया जा सकता है.'

मिनटों में एक्स-रे इमेज
इसकी बड़ी खासियत यह है कि स्वाब या लार से जुड़े नैदानिक परीक्षणों में जो समय लगता है, उसकी तुलना में अधिकांश एक्स-रे इमेज मिनटों के भीतर उपलब्ध हो जाती हैं. हालांकि शोधकर्ताओं ने कोविड-19 रोगियों के फेफड़ों को स्वचालित रूप से पहचानने के लिए अपने एआई मॉडल के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध छाती के एक्स-रे की कमी को भी माना है. उनके पास सिर्फ 194 कोविड-19 एक्स-रे और 194 सही तरीके से काम कर रहे एक्स-रे थे.

यह भी पढ़ेंः आज 30 सीटों पर हो रही वोटिंग में ममता बनर्जी का बहुत कुछ दांव पर

इमरजेंसी में कहीं ज्यादा मददगार
क्षतिपूर्ति के लिए टीम ने अन्य एक्स-रे इमेज के एक बड़े डेटासेट पर प्रशिक्षित मॉडल लिया और उसे कोविड-19 से संक्रमित फेफड़ों की पहचान करने के लिए समान तरीकों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया. विक्टर ने कहा, 'चूंकि एक्स-रे बहुत तेज और सस्ते हैं. वह उन जगहों पर मरीजों को ट्राइज (आपातकाल में कार्यवाही की प्राथमिकता का निर्धारण) करने में मदद कर सकते हैं, जहां स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली ध्वस्त हो गई है या फिर उन स्थानों पर जो अधिक जटिल तकनीकों तक पहुंच वाले प्रमुख केंद्रों से दूर हैं.'

यह भी पढ़ेंः पुणे में आग से फैशन स्ट्रीट की 448 दुकानें खाक, करोड़ों का नुकसान

डॉक्टरों का काम होगा आसान
उन्होंने यह भी कहा कि यह मेडिकल इमेज को वर्गीकृत करने के लिए स्वचालित रूप से डॉक्टरों को पहचानने, गंभीरता को मापने और बीमारी को वर्गीकृत करने में सहायता कर सकता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि वे बड़े डेटासेट के साथ अपनी विधि का परीक्षण जारी रखने की योजना बना रहे हैं. इसके साथ ही उनका एक मुफ्त ऑनलाइन मंच विकसित करने का भी लक्ष्य है.