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नासा के अंतरिक्ष यान ‘पर्सावियरेंस रोवर’ ने हासिल की मंगल पर सफलता

नासा ने मिशन मंगल में खास सफलता हासिल की है नासा का अंतरिक्ष यान  ‘पर्सावियरेंस रोवर’ मंगल ग्रह पर उतर चुका है.

Updated on: 19 Feb 2021, 08:16 AM

नई दिल्ली:

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अंतरिक्ष यान  ‘पर्सावियरेंस रोवर’ Perseverance मंगल ग्रह पर उतर चुका है. सात महीने पहले धरती से गए इस अंतरिक्ष यान ने लगभग 300 मिलियन मील यानी लगभग 470 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय की है. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा NASA   के इससे पहले कई यान मंगल पर लैंड हुए हैं  . इतिहास में ऐसे कई मौके रहे हैं, जब NASA को इस कोशिश में असफलता देखनी पड़ी है लेकिन नासा की इस उपलब्‍धि से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई राहें खुलेंगेी.  NASA के मुताबिक Perseverance रोवर जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater)  के इलाके में लैंड किया गया है. जेजेरो एक सूखी हुई प्राचीन झील का तल है. एजेंसी के मुताबिक मंगल पर यह सबसे पुराना और सबसे रोचक स्थान है. NASA के मुताबिक Perseverance रोवर को लैंड करने के लिए जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) सबसे सही जगह है और वहां एक्सपेरिमेंट किए जा सकते हैं. मिशन का मकसद है कि मंगल पर कभी रहे जीवन के निशान को खोजा जा सके और धरती पर सैंपल लाए जाए सकें. नासा के इस मिशन में भारतवंशी अमरीकी अंतरक्षि वैज्ञानिक स्‍वाती मोहन की भी अहम भूमिका थी .स्‍वाती ने इस रोवर की लैंडिंग प्रणाली के विकास में योगदान दिया है.

क्‍या जांच करेगा Perseverance
 ‘पर्सावियरेंस रोवर’ ने लाल ग्रह कहक जाने वाले मंगल  पर उतरने के बाद तस्वीर ट्वीट की है. यह अंतरिक्ष यान  अरबों साल पहले माइक्रो-ऑर्गानिज़्म्स की किसी भी गतिविधि के चिन्हों की जांच करेगा और उनको भेजेगा. अंतरिक्ष यान ने जब लैंडिंग की तो नासा के कंट्रोल सेंटर में बैठे स्टाफ़ में ख़ुशी की लहर दौड़ गई. 1970 के बाद नासा का यह पहला मिशन है जो मंगल ग्रह पर जीवन के संकेतों को तलाशने के लिए है.

टेरेन रेलेटिव नैविगेशन से हुई लैंडिंग
Perseverance टेरेन रेलेटिव नैविगेशन (TRN) के उपयोग से लैंडिंग किया  है . टीआरएन  में एक मैप होता है और एक नैविगेशन कैमरा. कैमरे से मिल रहे नजारे की मैप से तुलना की जाती है. इससे इन रुकावटों से बचते हुए लैंडिंग कराई जाती है.NASA ने इस तकनीक  की मदद से ऐस्टरॉइड Bennu पर OSIRIS-REx लैंड कराया था. यह मिशन सफल रहा था और साल 2023 में वह धरती पर लौट आएगा.

अमेरिका सफल, चीन  असफल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी तक अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने मंगल पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारा है और उसने यह कमाल आठ बार किया. नासा के दो लैंडर वहां संचालित हो रहे हैं, इनसाइट और क्यूरियोसिटी. छह अन्य अंतरिक्ष यान मंगल की कक्षा से लाल ग्रह की तस्वीरें ले रहे हैं, जिनमें अमेरिका से तीन, यूरोपीय देशों से दो और भारत से एक है. मंगल ग्रह के लिए चीन ने अंतिम प्रयास रूस के सहयोग से किया था, जो 2011 में नाकाम रहा था.

गौरतलब है कि तक मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारियों में जुटी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने NASA Mars Mission 2035 के तहत एक बड़ी योजना बनाई है. दरअसल, पृथ्वी से  करोड़ों किलोमीटर सुदूर मंगल ग्रह तक इंसानों का पहुंचना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नासा ने इस चुनौती का सामना करने के लिए परमाणु शक्ति युक्त रॉकेट बनाने की योजना बनाई है. जानकारों का कहना है कि अगर नासा रॉकेट बनाने में कामयाब हो जाता है तो इसके जरिए सिर्फ तीन महीने में इंसानों को मंगल ग्रह पर भेजा जा सकेगा. इसके साथ ही नासा के लिए अंतरिक्ष मिशन में एक बड़ी सफलता भी साबित होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मौजूदा समय में इंसानों को मंगल ग्रह पर भेजने के लिए सबसे बड़ी चुनौती रॉकेट को लेकर है. दरअसल, अभी जो रॉकेट मौजूद हैं वो मंगल तक पहुंचने में न्यूनतम 7 महीने का समय लगता है. इंसानों को इन रॉकेट के जरिए भेजने के बाद मंगल तक पहुंचते समय रास्ते में ऑक्सीन की कमी का सामना करना पड़ता है. 

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अंटार्कटिका से भी अधिक ठंडी है मंगल ग्रह की सतह 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बात की भी चिंता रहती है कि मंगल ग्रह का वातावरण इंसानों के अनुकूल नहीं है. अंटार्कटिका से भी अधिक ठंडा और कम ऑक्सीजन की वजह से मंगल ग्रह इंसानों के लिए काफी खतरनाक भी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नासा के स्पेस टेक्नोलॉजी मिशन डायरेक्ट्रेट की चीफ इंजिनियर जेफ शेही का कहना है कि मौजूदा समय में ज्यादातर रॉकेट में केमिकल इंजन लगे हैं और यह इंसानों को मंगल ग्रह तक पहुंचा सकते हैं लेकिन लंबी यात्रा के लिए यह अनुकूल नहीं है. उनका कहना है कि पृथ्वी से टेक ऑफ करने और वापस आने में इस रॉकेट को तीन साल का समय लग सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नासा चालक दल को अंतरिक्ष में कम से कम समय में मंगल ग्रह तक पहुंचाने के लिए परमाणु शक्ति से लैस रॉकेट को बनाने की योजना बना रहा है. 

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सिर्फ तीन महीने में ही पहुंचने की तैयारी कर रहा है नासा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नासा के वैज्ञानिक मंगल ग्रह तक पहुंचने में लगने वाले समय को कम करना चाह रहे हैं, जिसकी वजह से इस योजना को बनाया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नासा को सिएटल स्थित कंपनी अल्ट्रा सेफ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजीज ने एक परमाणु थर्मल प्रोपल्शन (NTP) इंजन बनाने का प्रस्ताव दिया हुआ है. जानकारों का कहना है कि इस इंजन से युक्त रॉकेट के जरिए मंगल ग्रह तक सिर्फ तीन महीने में ही पहुंचा जा सकता है. बता दें कि मौजूदा समय में मानवरहित अंतरिक्ष यान के जरिए मंगल ग्रह तक जाने में कम से कम 7 महीने का समय लगता है.