विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि अगला कोविड-19 वैरिएंट ओमिक्रॉन की तुलना में अधिक संक्रामक होगा। इसके साथ ही वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने यह भी कहा है कि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य में सामने आने वाला स्ट्रेन कम खतरनाक होगा।
सीएनबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव के अनुसार, वैज्ञानिकों को अभी भी असली सवाल का जवाब देना है कि क्या यह अधिक घातक होगा या नहीं।
वान केरखोव ने मंगलवार को कहा कि पिछले हफ्ते, डब्ल्यूएचओ को लगभग 2.1 करोड़ कोविड मामलों की सूचना मिली है, जो तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट से साप्ताहिक मामलों के लिए एक नया वैश्विक रिकॉर्ड स्थापित करता है।
हालांकि ओमिक्रॉन वायरस के पिछले वैरिएंट्स की तुलना में कम जानलेवा प्रतीत हुआ है मगर साथ ही कई देशों में मामलों की भारी संख्या अस्पताल प्रणालियों पर बोझ बन चुकी है।
वान केरखोव ने कहा, अगला वैरिएंट ऑफ कंसर्न ज्यादा ताकतवर होगा। इसका मतलब ये हुआ कि इसका ट्रांसमिशन रेट अधिक होगा और ये पूरी दुनिया में फैल रहे मौजूदा वैरिएंट को पीछे छोड़ देगा।
उन्होंने कहा, एक बड़ा सवाल ये भी है कि भविष्य में आने वाले वैरिएंट्स ज्यादा घातक होंगे या नहीं।
रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों ने ऐसी थ्योरीज पर विश्वास करने वालों को चेतावनी दी है, जिनमें कहा जा रहा है कि वायरस समय के साथ हल्के स्ट्रेन में म्यूटेट होगा और लोग पिछले वैरिएंट्स के मुकाबले कम बीमार पड़ेंगे।
उन्होंने आगे कहा, हम अगले वैरिएंट के हल्के होने की उम्मीद जरूर कर सकते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इसलिए लोगों को सख्ती से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की जरूरत है। इसके अलावा, कोविड का अगला म्यूटेंट वैरिएंट वैक्सीन प्रोटेक्शन से बच निकलने में ज्यादा माहिर हो सकता है। यह वैक्सीन से बनने वाली इम्यूनिटी को प्रभावित कर सकता है।
केरखोव ने कहा, आपको हमेशा के लिए मास्क नहीं पहनना होगा और आपको शारीरिक रूप से दूरी नहीं बनानी होगी, लेकिन अभी के लिए, हमें ऐसा करते रहने की जरूरत है।
इसके अलावा, कोविड का अगला वैरिएंट वैक्सीन सुरक्षा से और भी अधिक बच सकता है, जिससे मौजूदा टीके और भी कम प्रभावी हो जाएंगे।
डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन कार्यक्रमों के निदेशक डॉ. माइक रियान ने कहा कि एक पैटर्न में सेट होने से पहले वायरस का विकास जारी रहेगा। यह कोई मौसमी बीमारी बनकर ठहर सकता है या फिर कमजोर वर्ग के लोगों के लिए खतरा बन सकता है।
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Source : IANS