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चूहों पर हुए Experiment से पता चला, इस वजह से बातें भूल जाते हैं हम

आखिर हम चीजों को भूल क्यों जाते हैं? क्या कारण है कि हम हर चीज या बातें भूल जाते हैं. आपके साथ भी हुआ होगा कि आप किसी इंसान को पहचान नहीं पाएं होंगे बल्कि सामने वाला इंसान आपका नाम लेकर बात करता है. अगर आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है तो ये खबर आपके लिए ही है.

Updated on: 06 Sep 2019, 06:11 AM

highlights

  • शोधकर्ताओं ने पता लगाया क्यों बातें भूल जाते है हम.
  • 20 चूहों के ऊपर किया गया एक खास एक्सपेरिमेंट. 
  • इन चीजों को करने से तेज होता है दिमाग.

नई दिल्ली:

आखिर हम चीजों को भूल क्यों जाते हैं? क्या कारण है कि हम हर चीज या बातें भूल जाते हैं. आपके साथ भी हुआ होगा कि आप किसी इंसान को पहचान नहीं पाएं होंगे बल्कि सामने वाला इंसान आपका नाम लेकर बात करता है. अगर आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है तो ये खबर आपके लिए ही है.

दरअसल शोधकर्ताओं ने तंत्रिका प्रक्रियाओं की पहचान की है जो कुछ यादों को तेजी से फीका कर देती हैं जबकि अन्य यादें समय के साथ बनी रहती हैं.
माउस मॉडल का उपयोग करते हुए, कैलटेक शोधकर्ताओं ने यह निर्धारित करने में सफलता पाई है कि हमारे शरीर में कुछ न्यूरॉन का समूह है जो हमारे याद्दाश्त बढ़ाने या पुरानी यादों को तुरंत याद आने में सहायक होता है. इन्हीं न्यूरॉन समूहों के कारण हम किसी पुरानी याद या बात हमें तुरंत याद आ जाती है. ये न्यूरॉन ही पुरानी यादों को कोड और डिकोड करते हैं.

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दरअसल शोधकर्ता ये जानना चाहते थे कि कैसे हमारा दिमाग पुरानी बातों को याद रखता है या भुला देता है. इसी के साथ ये भी जानने की कोशिश की गई है कि कैसे ब्रेन डैमेज या अल्जाइमर जैसी बीमारी कैसे हमारे दिमाग पर असर डालती है. शोधकर्ताओं की रिपोर्ट साइंस मैग्जीन में प्रकाशित की गई है.
पोस्ट डॉक्टरल वॉल्टर गोंजालेज (Walter Gonzalez) और उनकी टीम ने चूहों पर प्रयोग करके तंत्रिका तंत्र की गतिविधियों की जांच करने के लिए एक परीक्षण किया और ये ऑब्जर्व करने की कोशिश की कि कैसे चूहे किसी चीज को याद करने और याद रखने की कोशिश करते हैं.
इस एक्सपेरिमेंट में 20 चूहों पर प्रयोग किया गया था. परीक्षण में, सफेद दीवारों के साथ लगभग 5 फीट लंबे एक बाड़े या शीशे की दीवार में चूहों को रखा गया था. फिर उन्हें कुछ प्रतीकों या सिंबल्स से रास्तों या अलग अलग जगहों को चिंन्हित कर दिया गया. जैस राइट हैंड के सबसे लास्ट में + का साइन और सेंटर के पास एक / का साइन. इसके बाद ट्रैक के दोनों साइड्स पर चीनी पानी रखा गया था. इसी वक्त शोधकर्ताओं को पता चला कि चूहों के हिप्पोकैम्पस (Hippocampus-Where new memory are formed), (जहां नई यादें बनती है) में कुछ स्पेसिफिक न्यूरॉन एक्टिव हुए.

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जब चूहों को इस ट्रैक पर रखा गया था तब उन्हें क्या करना है पता ही नहीं था. लेकिन जब चूहों ने एक सिंबल देखा तब उनके हिप्पोकैम्पस में एक खास न्यूरॉन एक्टिवेट हो गया. लेकिन जब यही एक्सपेरिमेंट उन पर बार बार किया गया तो उन चूहों ने इस बात को याद कर लिया कि इस खास साइन को देखने के बाद कहां घूमना है और अंत में कहां तक जाना है. जैसे जैसे वो रास्तों के साथ फैमिलियर होते गए वैसे-वैसे चूहों के हिप्पोकैम्पस में उतने ही ज्यादा न्यूरॉन एक्टिवेट होते गए. दरअसल इन चूहों ने इन्ही साइन्स को देखकर पता लगा लिया और याद कर लिया कि इन्हें किधर की ओर जाना है और अंत में कहां पहुंचना है.
कुछ समय पर वापस इसी ट्रैक पर आने पर उन चूहों के दीमाग में न्यूरॉन्स की संख्या ये बताती है कि हम किसी सिंबल या किसी एक खास चीज से जो़ड़कर चीजों को देखते हैं. एक लाइन में कहें तो दिग में कुछ खास न्यूरॉन्स होते हैं जो चीजों को याद रखने में सहायता करते हैं.

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Walter Gonzalez ने बताया कि मान लीजिए कि आपके पास बताने के लिए एक कॉम्पलैक्स और लंबी स्टोरी है. कहानी को याद रखने के लिए आपने अपने पांच दोस्तो को बताया और फिर कभी मिलकर कहानी को फिर से बताया और उनसे ये भी कहा कि अगर आप स्टोरी में कुछ भूल जाएं तो वो आपको याद दिला दे. आप ये ही स्टोरी जितनी बार भी बताएं किसी नए दोस्त को भी अपनी टीम में शामिल करते रहें. इस तरह से आपके दिमाग में उपस्थित न्यूरॉन इसी स्टोरी को याद रखने में आपकी मदद करेगें क्योंकि ये न्यूरॉन एक दूसरे की यादों को ताजा करने में भी मदद करेंगे. जब आपको कोई बीमारी होती है जैसे- अल्जाइमर तो दिमाग में उपस्थित इन्ही न्यूरॉन समूह पर असर पड़ता है और हम स्टोरी या बातें भूल जाते हैं.