आखिर लोग क्यों इतना झूठ बोल रहे हैं ? जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक रहस्य

झूठ बोलने (science of lie) के पीछे का वैज्ञानिक कारण जानकर हो जाएंगे हैरान.

झूठ बोलने (science of lie) के पीछे का वैज्ञानिक कारण जानकर हो जाएंगे हैरान.

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Vaishnavi Dwivedi
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science of lie( Photo Credit : Social Media)

आज कल झूठ बोलना (science of lie) मानों हर किसी ने अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना लिया है. किसी का काम बिना झूठ बोले चल ही नहीं रहा है. जबकि एक समय था भारत जैसे मान्यताओं वाले देश में झूठ को एक पाप की तरह देखते थे. लेकिन अब झूठ को लोग अपना सबसे मजबूत शस्त्र मानते हैं, जो उनके हर वक्त साथ रहता है और देता है. लेकिन क्या कभी किसी ने ये जानने कि कोशिश की है कि आखिर लोग झूठ बोले बगैर रह क्यों नहीं पाते हैं ? तो आज हम आपको इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण बताएंगे जिसको जानकर आपको हैरानी होगी.  झूठ बोलने की जरूरत को लेकर दो दशक पहले कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सामाजिक मनौविज्ञान प्रोफेसर बेला डे पॉलो ने अलग तरीके से स्पष्ट किया, जिसके बाद इसे दस्तावेज के तौर पर भी पेश किया है.

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दरअसल, पॉलो और उनके टीम मेम्मबर ने 147 यूथ से कहा था कि वह यह किसी नोट बुक में लिखे कि हर हफ्ते उन्होंने कितनी बार किसी दूसरे से झूठ (science of lie) कहा था, जिसके बाद यह सच्चाई सामने आई कि हर व्यक्ति ने दिन में औसतन एक या दो बार झूठ बोला. इनमें से ज्यादातर झूठ किसी को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं था. बल्कि उनका उद्देश्य अपनी कमियां छुपाना या दूसरों की भावनाओं को बचाना था. हालांकि बाद में की गई एक और स्टडी में पॉलो ने पाया कि ज्यादातर ने किसी मौके पर एक या एक से ज्यादा बार बड़े झूठ भी बोले हैं – जैसे शादी के बाहर किसी रिश्ते को छुपाना और उसके बारे में झूठ बोलना.

आपको बता दें कि झूठ (science of lie) से लोग परहेज़ नहीं करते हैं क्योंकि कहीं न कहीं यह हम इंसानों के डीएनए का हिस्सा है. इस पर “नेशनल जियोग्राफिक” में भी इसके पीछे छिपे विज्ञान को समझने की कोशिश की. इसके मुताबिक – इंसानों में झूठ बोलने की प्रतिभा नई नहीं है. शोध बताती हैं कि भाषा की उत्पत्ति के कुछ वक्त बाद ही झूठ बोलना हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गया.  

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