चंद्रयान-2 से चंद्रयान-3 कैसे है अलग, जानिए दोनों के बीच खास अंतर
चंद्रयान-3 मिशन 13 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा. इसरो ने इसकी जानकारी दी है. चंद्रयान-2 मिशन की विफलता के बाद इसरो की यह दूसरी पहल है.
नई दिल्ली:
चंद्रयान-2 मिशन फेल होने के तीन साल बाद अब चंद्रयान-3 लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो ने 13 जुलाई की तारीख तय की है. यह प्रशिक्षण 13 जुलाई को श्री हरिकोट से किया जायेगा. आपको बता दें कि आज तीन साल पहले चंद्रयान-2 मिशन फेल हो गया था, जिसके बाद उसी मिशन का यह फॉलो अप मिशन है. आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि चंद्रयान-2 मिशन और चंद्रयान-3 मिशन में क्या अंतर है?
चंद्रयान-2 मिशन क्या था?
चंद्रयान-2 मिशन एक अत्यधिक जटिल मिशन था, जो इसरो के पिछले मिशनों की तुलना में एक महत्वपूर्ण तकनीकी से बढ़कर था. इसमें चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव का पता लगाने के लिए एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल थे. मिशन को टॉपोग्राफी, भूकंप विज्ञान, खनिज की पहचान और वितरण, सतह रासायनिक संरचना, ऊपरी मिट्टी की थर्मो-भौतिक विशेषताओं और कमजोर चंद्र वातावरण की संरचना के विस्तृत अध्ययन के माध्यम से चंद्र वैज्ञानिक ज्ञान का विस्तार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे उत्पत्ति की एक नई समझ पैदा होगी.
इस खबर को भी पढ़ें- चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग पर बड़ा खुलासा, ISRO चीफ ने बताया कब भरेगा उड़ान
मिशन कैसे हो गया फेल?
चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण के बाद, इसकी कक्षा को बढ़ाने के लिए कई चालें चलीं और 14 अगस्त, 2019 को, ट्रांस लूनर इंसर्शन (टीएलआई) पैंतरेबाज़ी के बाद, अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा से बच गया और उस पथ का अनुसरण करने लगा जो उसे ले गया. 20 अगस्त, 2019 को चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया. 02 सितंबर, 2019 को 100 किमी चंद्र ध्रुवीय कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा करते समय, विक्रम लैंडर लैंडिंग की तैयारी में ऑर्बिटर से अलग हो गया था. इसके बाद, विक्रम लैंडर पर दो डी-ऑर्बिट युद्धाभ्यास किए गए ताकि इसकी कक्षा को बदला जा सके और 100 किमी x 35 किमी की कक्षा में चंद्रमा का चक्कर लगाना शुरू किया जा सके. विक्रम लैंडर का उतरना योजना के अनुसार था और 2.1 किमी की ऊंचाई तक सामान्य प्रदर्शन देखा गया. इसके बाद लैंडर से ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया.
चंद्रयान-3 मिशन क्या है?
चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का फॉलो अप मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता को दिखाएगा. इसमें लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल है. इसे LVM3 द्वारा SDSC SHAR, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन को 100 किमी चंद्र कक्षा तक ले जाएगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के स्पेक्ट्रल और पोलर मीट्रिक माप का अध्ययन करने के लिए रहने योग्य ग्रह पृथ्वी (SHAPE) पेलोड का स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री है.
चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में क्या है अंतर?
चंद्रयान-2 मिशन की असफलता के बाद इसरो ने इस बार चंद्रयान में कुछ बदलाव किए हैं. चंद्रयान-3 को लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन और अवॉइडेंस कैमरा के साथ लॉन्च किया जाएगा जिसका उपयोग ऑर्बिटर के साथ समन्वय और मिशन नियंत्रण के लिए किया जाएगा क्योंकि लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, जबकि चंद्रयान -2 में केवल एक कैमरा था. चंद्रयान-3 में ऐसे दो कैमरे लगाए गए हैं. दोनों वर्जन में बड़ा अंतर है. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर को नौ इन-सीटू उपकरणों की प्रभावशाली सूची के साथ लॉन्च किया जाएगा जो अभी भी चंद्रमा की कक्षा में काम कर रहा है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
MS Dhoni : धोनी के चक्कर में फैन ने कर लिया गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप, कारण जाकर उड़ जाएंगे आपके होश
-
KKR vs DC Dream11 Prediction : कोलकाता और दिल्ली के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुनें कप्तान
-
KKR vs DC Head to Head : कोलकाता और दिल्ली में होती है कांटे की टक्कर, हेड टू हेड आंकड़ों में देख लीजिए
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Weekly Horoscope: इन राशियों के लिए शुभ नहीं है ये सप्ताह, एक साथ आ सकती हैं कई मुसीबतें
-
Mulank 1 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 1 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
May Property Purchase Muhurat: मई 2024 में संपत्ति खरीदने के ये हैं 7 शुभ मुहूर्त, आप भी नोट कर लें
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन करें तुलसी के ये उपाय, आर्थिक तंगी होगी दूर!