जानिए आखिर क्या है आसमान से गिरने वाला उल्का पिंड?
दिल्ली से सटे गाजियाबाद के साहिबाबाद में उल्का पिंड गिरने की खबर सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि ये उल्का पिंड गुरुवार को रात 9 बजे के करीब साहिबाबाद के रेलवे गोदाम के करीब देखा गया है.
नई दिल्ली:
दिल्ली से सटे गाजियाबाद के साहिबाबाद में उल्का पिंड गिरने की खबर सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि ये उल्का पिंड गुरुवार को रात 9 बजे के करीब साहिबाबाद के रेलवे गोदाम के करीब देखा गया है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, उन्होंने गोदाम के पास से एक आग का गोला जलते देखा जबकि उस समय बारिश भी हो रही थी. लेकिन उस आग के गोले पर बारिश के पानी का कोई असर नहीं हो रहा था. लोगों ने इस घटना की सूचना तुरंत फायर ब्रिगेड को दी, जब वो वहां पहुंचे तो वहां सिर्फ सफेद मलबा नजर आया. हालांकि ये उल्का पिंड था या कुछ और इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पाई है लेकिन आशंका जताई जा रही है कि ये कोई उल्का पिंड ही है या फिर आकाशीय कचरा.
आखिर क्या उल्का पिंड
आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का (meteor) और साधारण बोलचाल में 'लूका' कहते हैं. वहीं उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं. हर रात को उल्काएं अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं लेकिन इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या काफी अल्प होती है. वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं, दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना (स्ट्रक्चर) के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं. इनके अध्ययन से ये भी पता चलता है कि भूमंडलीय वातावरण में आकाश से आए हुए पदार्थ पर क्या-क्या प्रतिक्रियाएं होती हैं. इस प्रकार ये पिंड ब्रह्माण्डविद्या और भूविज्ञान के बीच संपर्क स्थापित करते हैं.
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उल्कापिंडों का मुख्य वर्गीकरण उनके संगठन के आधार पर किया जाता है. कुछ पिंड अधिकांशत: लोहे, निकल या मिश्रधातुओं से बने होते हैं और कुछ सिलिकेट खनिजों से बने पत्थर सदृश होते हैं. पहले वर्गवालों को धात्विक और दूसरे वर्गवालों को आश्मिक उल्कापिंड कहते हैं. इसके अतिरिक्त कुछ पिंडों में धात्विक और आश्मिक पदार्थ प्राय: समान मात्रा में पाए जाते हैं, उन्हें धात्वाश्मिक उल्कापिंड कहते हैं. वस्तुत: पूर्णतया धात्विक और पूर्णतया आश्मिक उल्कपिंडों के बीच सभी प्रकार की अंत:स्थ जातियों के उल्कापिंड पाए जाते हैं जिससे पिंडों के वर्ग का निर्णय करना बहुत ही कठिन हो जाता है.
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