स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि तेलंगाना में कोविड-19 की स्थिति नियंत्रण में है। पिछले एक सप्ताह के आंकड़े बताते हैं कि मार्च के महीने की तरह दैनिक मामले 20 से 30 के बीच बने हुए हैं।
राज्य में 7 अप्रैल को 29 नए मामले सामने आए। लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण निदेशक के अनुसार, कुल 5,029 सैंपल की जांच की गई। इस दौरान 21 लोग ठीक भी हुए जबकि किसी की मौत नहीं हुई। रिकवरी दर 99.49 प्रतिशत रही।
सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक ने बताया कि कोविड के कुल 154 मरीज उपाचाराधीन या आइसोलेशन में हैं।
इससे पहले 6 अप्रैल को राज्य में 21 नए मामले दर्ज किए गए थे जबकि 5 अप्रैल को यह संख्या 26 थी।
राज्य के 33 जिलों में से अधिकांश में हर दिन शून्य या एक मामला सामने आ रहा है। हालांकि, हाल के महीनों में पहली बार किसी आवासीय स्कूल में 15 मामले दर्ज किए गए। महबूबाबाद जिले के आदिवासी कल्याण आवासीय बालक विद्यालय के छात्रों में कोविड-19 की पुष्टि हुई थी।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि यह एक अकेली घटना है और घबराने की कोई बात नहीं है।
पिछले कुछ महीनों में एक दिन में सबसे अधिक 54 मामले 15 मार्च को दर्ज किए गए थे। मार्च के दौरान दैनिक मामलों की संख्या में 15 से 40 के बीच घटती-बढ़ती रही।
केंद्र सरकार ने बढ़ते मामलों को लेकर पिछले महीने तेलंगाना समेत छह राज्यों को एडवाइजरी जारी की थी। इसने राज्य को सूक्ष्म स्तर (जिला और उप-जिलों स्तर) पर स्थिति की जांच करने और त्वरित तथा प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक उपायों के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। मंत्रालय ने टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण की रणनीति की भी सलाह दी।
स्वास्थ्य मंत्री टी. हरीश राव ने लोगों से घबराने के बजाय सतर्क रहने और बढ़ते मामलों से निपटने के लिए कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि सभी पात्र लोग सरकारी अस्पतालों में बूस्टर डोज अवश्य लगवाएं। राज्य सरकार ने राज्य के लिए अतिरिक्त कोविड बूस्टर डोज प्रदान करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को भी लिखा था।
केंद्र द्वारा राज्यों को सीधे खुले बाजार से कोविड टीके और बूस्टर शॉट्स खरीदने की अनुमति के बाद तेलंगाना सरकार ने टीकाकरण फिर से शुरू करने के लिए हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई से 15 लाख खुराक खरीदने का फैसला किया।
स्वास्थ्य अधिकारियों और डॉक्टरों का कहना है कि मौजूदा स्थिति से घबराने की कोई बात नहीं है। यह मार्च के दौरान होता है जब कोविड-19 के मामले बढ़ने लगते हैं। पहली तीनों लहरों के दौरान यही पैटर्न देखा गया था।
उन्होंने कहा कि कोविड अब एंडेमिक बनने की कगार पर है लेकिन ज्यादा जोखिम वाले लोगों को खुद को सुरक्षित रखने के उपाय करने चाहिए। इनमें बच्चे, बुजुर्ग और दूसरी जानलेवा बीमारियों से पहले से पीड़ित लोग शामिल हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि हाल ही में कोविड में हुई बढ़ोतरी वायरल फीवर सर्ज से जुड़ी नहीं है।
स्वास्थ्य पेशेवरों का कहना है कि कोविड-19 महामारी पूरी तरह से हमारे जीवन से बाहर नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र ने महामारी से कुशलता से निपटा है, लेकिन संक्रमण संख्या में हालिया वृद्धि स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि कोरोनावायरस हमारे जीवन से पूरी तरह से गया नहीं है। हमें और सतर्क रहना होगा। हम वायरस को जीतने नहीं दे सकते।
अमोर अस्पताल के एमडी डॉ. किशोर बी रेड्डी ने कहा, कोरोनावायरस ने हम डॉक्टरों को सिखाया है कि हम कभी भी सीखना बंद नहीं कर सकते। हमें अपने रास्ते में आने वाली नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। भारतीय समाज के ²ष्टिकोण से, कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर सुनहरा नियम दोहराया है, रोकथाम इलाज से बेहतर है।
सिकंदराबाद के केआईएमएस अस्पताल के मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण कुमार कुलकर्णी ने कहा, भारत में कोविड-19 के मामले एक बार फिर से बढ़ रहे हैं। हालांकि इससे हमें डरना नहीं चाहिए, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम सतर्क रहें और यह सुनिश्चित करें कि वायरस हमसे जीत न सके।
--अईएएनएस
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Source : IANS