दिल की बीमारियों की वजह बन सकते हैं शुगर फ्री आर्टिफिशियल स्वीटनर
शक्कर यानी चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. चाय-कॉफी से लेकर डाइट सोडा तक में लोग स्वीटनर का प्रयोग बड़े पैमाने पर करते हैं. शुगर-फ्री होने की वजह से इसे चीनी का बेहतर विकल्प माना जाता है.
नई दिल्ली:
शक्कर यानी चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. चाय-कॉफी से लेकर डाइट सोडा तक में लोग स्वीटनर का प्रयोग बड़े पैमाने पर करते हैं. शुगर-फ्री होने की वजह से इसे चीनी का बेहतर विकल्प माना जाता है. इस बीच एक शोध ने आर्टिफिशियल स्वीटनर इस्तेमाल करने वालों की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, बड़े पैमाने पर हुए एक रिसर्च के बाद कुछ वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि शुगर फ्री आर्टिफिशियल स्वीटनर दिल की बीमारियों की वजह बन सकता है. हालांकि, वैज्ञानिकों का एक अन्य समूह फिलहाल इस निष्कर्षों से ज्यादा संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं.
दरअसल, फ्रांस के इंसर्म (INSERM) इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक शोध के दौरान यह जानने का प्रयास किया कि ये स्वीटनर दिल के रोगों से किस तरह जुड़े हैं. इस दौरान उन्होंने पाया कि शोध में शामिल 1,502 लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं हो गई थीं, जिनमें दिल का दौरा पड़ने से लेकर स्ट्रोक तक शामिल हैं. ये वे लोग थे, जो लंबे समय से स्वीटनर ले रहे थे.
शोधकर्ताओं ने फ्रांस में रहने वाले एक लाख से ज्यादा लोगों की ओर से दिए गए खानपान की जानकारी का विश्लेषण किया है. 2009 से 2021 के बीच इन लोगों ने अपने खान-पान, दैनिक दिनचर्या और स्वास्थ्य की जानकारी वैज्ञानिकों के साथ साझा की. गौरतलब है कि यह जानकारी लोगों ने अपने आप दी थी. इन लोगों से प्रप्ता डाटा के विश्लेषण से पता चला कि 37 प्रतिशत लोग आर्टिफिशियल स्वीटनर का प्रयोग कर रहे थे. ये लोग औसतन 42 मिलीग्राम स्वीटनर हर दिन इस्तेमाल कर रहे थे, जो इसका एक पैकेट या फिर एक डाइट सोडा की एक तिहाई कैन के बराबर है. नौ साल तक तक इन लोगों के खानपान की निगरानी करने के बाद अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि 1,502 लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं हो गई थीं, जिनमें दिल का दौरा पड़ने से लेकर स्ट्रोक तक शामिल हैं.
चौंकाने वाला है शोध का नतीजा
बीएमजे पत्रिका में छपी इस शोध में साफ-साफ यह कहा गया है कि एक लाख में से उन 346 लोगों को हृदय रोग हुआ, जो भारी मात्रा में कृत्रिम मीठे का इस्तेमाल कर रहे थे. वहीं, इतने ही लोगों में से स्वीटनर नहीं इस्तेमाल करने वालों में हृदय रोग की संख्या मात्र 314 रही.
WHO भी शुगर फ्री स्वीटनर को नहीं मानता है सुरक्षित
शोध के इस परिणाम को लेकर इंसर्म की माटिल्डा टू बियर कहती हैं कि ये नतीजे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से पिछले वर्ष प्रकाशित एक रिपोर्ट की पुष्टि करती है, जिसमें WHO की ओर से कहा गया है कि स्वीटनर को शुगर का सुरक्षित विकल्प नहीं माना जा सकता है. इसके साथ ही इसी वर्ष अप्रैल में आई एक रिपोर्ट में WHO साफ-साफ कहा था कि "इस बात पर स्पष्ट सहमति नहीं है कि शुगर फ्री स्वीटनर लंबे समय में वजन कम करने के लिए फायदेमंद है या वे अन्य किसी तरह से सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं.
शुगर फ्री स्वीटनर से कैंसर होने के भी मिले संकेत
इसके अलावा इसी वर्ष न्यूट्री-नेट आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले एक और शोध में बताया गया था कि शुगर फ्री स्वीटनर में पाए जाने वाले तत्व जैसे कि एस्पार्टेम, पोटेशियम और सूकरलोस कैंसर से संबंधित हो सकते हैं. हालांकि, स्वीटनर को लेकर जितने भी शोध हुए हैं, उन्हें तीखी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा, क्योंकि वे अपने निष्कर्षों की कोई स्पष्ट वजह नहीं दे पाए हैं. दरअसल, कई वैज्ञानिक शोध में ये दावा किया जाता रहा है कि चीनी सेहत के लिए बेहद खतरनाक है. इसी वजह से बड़ी तादाद में लोगों को रुझान शुगर फ्री की गया है. लेकिन, ये कृत्रिम मीठे के भी सेहतमंद होने की कोई गारंटी नहीं है.
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