मजबूत कानून ही कर सकते हैं घरेलू टेक फर्मो, स्टार्टअप्स की रक्षा : एडीआईएफ

मजबूत कानून ही कर सकते हैं घरेलू टेक फर्मो, स्टार्टअप्स की रक्षा : एडीआईएफ

मजबूत कानून ही कर सकते हैं घरेलू टेक फर्मो, स्टार्टअप्स की रक्षा : एडीआईएफ

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

यह हालांकि प्रशंसनीय है कि भारतीय नियामकों ने गूगल और अन्य बड़ी वैश्विक टेक कंपनियों की विश्वास-विरोधी चुनौतियों और एकाधिकार की प्रवृत्ति का संज्ञान लिया है, लेकिन सरकार के लिए यह उचित हो जाता है कि वह किसके लाभ के लिए सक्रिय रूप से कानून बनाए। एलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) के कार्यकारी निदेशक सिजो कुरुविला जॉर्ज ने सोमवार को यह बात कही।

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जॉर्ज ने आईएएनएस से कहा कि इसके संचालन के पैमाने और बाजारों और समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव को देखते हुए, इस तरह के तकनीकी दिग्गजों की प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को समझने और शासन करने की जरूरत विश्व स्तर पर अर्थव्यवस्था के विकास और भलाई के लिए एक आवश्यकता के रूप में उभर रही है।

उन्होंने कहा, कई प्रमुख बाजारों में तकनीकी दिग्गजों की मौजूदगी और प्रभुत्व डिजिटल व इंटरनेट अर्थव्यवस्था (ई-कॉमर्स, सोशल नेटवर्किं ग, संचार खोज, विज्ञापन, ब्राउजर, स्मार्टफोन और स्मार्टफोन ओएस, ऐप अर्थव्यवस्था, भुगतान आदि) की सेहत से जुड़ा हुआ है।

एडीआईएफ इस समय संस्थापक सदस्यों के रूप में पेटीएम, भारतमैट्रोमनी, इनोव8 और अन्य के साथ लगभग 400 घरेलू डिजिटल स्टार्टअप का प्रतिनिधित्व करता है।

जॉर्ज के अनुसार, इसमें शामिल इसके प्रमुख नियामक संस्थान - इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मेईटीवाई), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और हमारे स्टार्टअप के लाभ के लिए विधायी कार्रवाइयों को ध्यान में रखना और सक्रिय रूप से अधिनियमित करना भारत सरकार के लिए प्रासंगिक हो जाता है।

उन्होंने जोर देकर कहा, जो आवश्यक है वह गलत काम के लिए दंड नहीं, बल्कि सक्रिय सक्षम कानून है। यहां तक कि जब जुर्माना लगाया जाता है और रकम कुछ अरबों में चली जाती है, तो इसके परिप्रेक्ष्य में राशियां पोर पर एक हल्के रैप के समान होती हैं।

किसी अंतिम अभियोग का फैसला, अगर कुछ वर्षो के बाद आता है तो ऐसा होने पर भी जुर्माना व्यावसायिक भाग्य में वास्तविक सेंध लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने कहा, समय की मांग निष्पक्ष बाजार प्रथाओं की है। लंबे समय में यह पूर्व-कार्योत्तर जुर्माना नहीं है, बल्कि सक्रिय और प्रगतिशील विधायी प्रयास हैं जो एक स्वस्थ, अभिनव और प्रतिस्पर्धी पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण और पोषण करेंगे।

सीसीआई ने दो साल पहले एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) के कथित दुरुपयोग के गूगल द्वारा लगाए गए आरोप की जांच शुरू की थी। हाल ही में, सीसीआई के महानिदेशक ने स्थापित किया कि एंड्रॉइड ओएस पर जोर देकर गूगल ने अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं में शामिल किया था।

वैश्विक सर्च इंजन कंपनी के खिलाफ जांच से संबंधित सीसीआई की गोपनीय रिपोर्ट लीक होने के खिलाफ गूगल दिल्ली उच्च न्यायालय गया था। हालांकि, एंटी-ट्रस्ट रेगुलेटर ने मीडिया को गोपनीय रिपोर्ट लीक करने से इनकार किया।

सीसीआई की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि गोपनीय जांच सूचना के कथित लीक के खिलाफ गूगल द्वारा दायर याचिका में कुछ भी नहीं बचा है और याचिका का निपटारा कर दिया गया है।

जॉर्ज के अनुसार, प्रभावी डेटा संरक्षण कानून समय की मांग है।

डेटा की मात्रा अब उत्पन्न हो रही है, यहां तक कि व्यक्तिगत उपकरणों से भी बहुत अधिक है, और हमारे घरों में भी जुड़े उपकरणों के प्रसार के साथ कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, डेटा के एकाधिकार को भी एक संभावना और चिंता के रूप में माना जाना चाहिए। स्थिति औद्योगिक क्रांति के दिनों से अलग नहीं है, जहां मानकीकरण और अंत:क्रियाशीलता मानक आगे के रास्ते के लिए वैश्विक सहमति के रूप में उभरे हैं।

एडीआईएफ उद्योग के हितधारकों की ओर से कानूनी हस्तक्षेप शुरू करने की संभावना तलाश रहा है।

जॉर्ज ने कहा, हालांकि प्राथमिक दृष्टिकोण संवाद और सर्वसम्मति निर्माण का होगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि महत्व के मामलों का औपचारिक रूप से प्रतिनिधित्व किया जाए ताकि सरकार, एक बार जरूरत के प्रति आश्वस्त हो जाए, उस पर कार्रवाई करने में सक्षम हो सके।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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