अंतरिक्ष उद्योग को वर्ष 2022 से अधिक उम्मीदें हैं क्योंकि 2021 में कोराना के चलते कोई अधिक प्रगति नहीं हुई थी और लोग इस वर्ष की यादों को अपने जेहन में रखना नहीं चाहते हैं।
सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी सेक्टर की सहभागिता को बढ़ावा देने की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं और इस क्षेत्र से जुड़े काफी सुधार किए हैं तथा नीतियों को अंतिम रूप देकर निजी क्षेत्र के आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अंतिम रूप देने और अंतरिक्ष गतिविधियां विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद निजी क्षेत्र को 2022 से काफी उम्मीदें हैं।
गौरतलब है कि वैश्विक अंतरिक्ष बाजार का कारोबार लगभग 360 बिलियन डालर का है और वर्ष 2040 तक इसके एक ट्रिलियन डालर होने का अनुमान है। अभी भारत की हिस्सेदारी अंतरराष्ट्रीय बाजार में मात्र दो प्रतिशत हैं और इस क्षेत्र में बेहतर निवेश की अपार संभावनाएं हैं।
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में अभी तक देश की सरकारी अंतरिक्ष एजेंसी-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का ही वर्चस्व था और निजी क्षेत्र की भूमिका मात्र इसे विभिन्न हिस्सों तथा कल पुर्जों की आपूर्ति करने तक सीमित थी।
दावोन एडवाइजरी एंड इंटेलिजेंस के संस्थापक डा. चैतन्य गिरि ने आईएएनएस को बताया भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के हिस्से के रूप में मानवरहित अंतरिक्ष प्रक्षेपण को क्रियान्वित किए जाने से इस क्षेत्र को काफी सहारा मिलेगा और यह लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा। दो मानवरहित मिशन के लांच को लेकर लोगों में काफी दिलचस्पी है।
उन्होंने बताया कि 9023 करोड़ रुपए के गगनयान मिशन का देश के लिए काफी सामरिक महत्व है और यह एक वैज्ञानिक उपलब्धि वाला मिशन साबित होगा।
श्री गिरि ने बताया वर्ष 2022 में सूर्य का अध्ययन करने वाले मिशन आदित्य-एल वन में भी कुछ प्रगति देखने को मिलेगी। इसके अलावा दो चंद्रमा मिशन प्रोजेक्ट भी हैं जिनमें देश का खुद का चंद्रयान तीन , भारत -जापान मून मिशन(लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन-लूपेक्स) और इंडो-यूएस कोलाबरेटिव नासा-इसरो सिंथेटिक अपरचर राडार(निसार )मिशन शामिल हैं।
चंद्रयान मिशन अपने पूरा होने की अंतिम अवस्था में है और इसके प्रोपल्शन मॉडयूल और रोवर मॉडयूल को पूरा कर समन्वित कर लिया गया है और परीक्षण भी पूरा हो चुका है।
लैंडर मॉडयूल में अधिकतर प्रणालियों का काम पूरा हो चुका है और इसके परीक्षण किए जा रहे हैं। इसके इंटीग्रेटिड सेंसर और नेविगेशन निष्पादन परीक्षण पूरे हो चुके हैं और अन्य परीक्षण प्रगति पर हैं।
केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह ने राज्य सभा में बताया था कि चंद्रयान को वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में प्रक्षेपित किए जाने का लक्ष्य तय किया गया है।
निसार के संबंध में पहले ही कहा गया है कि इसे भारतीय रॉकेट पीएएसएलवी के जरिए अंतरिक्ष में वर्ष 2022 में प्रक्षेपित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि शुक्र ग्रह को लेकर पूरे विश्व का कौतूहल बढ़ता ही जा रहा है और भारत भी इस जल्दी ही इस खेमे में शामिल हो जाएगा। देश में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की संख्या में अब इजाफा हो रहा है। अगले वर्ष इसरो द्वारा कई अर्थ (पृथ्वी)ऑब्जर्वेशन और अन्य उपग्रहों को प्रक्षेपित किए जाने की संभावना है। उपरोक्त जिन बातों का वर्णन किया गया है वे विभिन्न उपग्रहों के बारे में हैं लेकिन जहां तक अन्य अंतरिक्ष सुधारों की बात है तो इस मामले में न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड(एनएसआईएल )को वर्ष 2022 में पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) या अन्य पीएसएलवी रॉकेटों के बारे में इस क्षेत्र के दिग्गजों के बारे में निर्णय लेना चाहिए।
एनएसआईएल ने उद्योग जगत से पीएसएलवी रॉकेटों के निर्माण के लिए उनकी अभिरूचियों के बारे में निविदाएं मांगी हैं। रॉकेट के क्षेत्र में इसरो को अगले वर्ष अपने छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन को पूरा करना है और इसकी क्षमता 500 किलोग्राम वजनी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की होगी।
इसरो को तमिलनाडु के कुलासेकरापट्टीनाम में अपने दूसरे रॉकेट भंड़ारण केन्द्र के निर्माण के बारे में भी प्रगति करनी है। इस समय इसरो अपना ध्यान शोध एवं विकास पर केन्द्रित कर रहा है और देश में वर्तमान विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल के तौर तरीक सुझाने वाली समिति भी अपनी रिपोर्ट जल्द ही सौंप सकती है।
अगला वर्ष रॉकेट और उपग्रह निर्माण के क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होने जा रहा है।छोटे रॉकेट निर्माता स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड और अग्निकुल कॉस्मोस के भी अपने रॉकेटों के वर्ष 2022 तक प्रक्षेपण की उम्मीद है।
स्काईरूट एयरोस्पेस के सीईओ और मुख्य तकनीकी अधिकारी पवन कुमार चांदना ने बताया वर्ष 2022 हमारे लिए काफी अहम होगा क्योंकि हम विक्रम एक रॉकेट के प्रक्षेपण के साथ उपग्रह लांचिंग समाधान प्रदान करने वाले विश्व के अग्रणी देशों के क्लब में शामिल हो जाएंगे।
निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष उद्योग को खोलने की कवायद के एक हिस्से के रूप में इसके लिए नियामक के तौर पर केन्द्र सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केन्द्र (इन -स्पेस )का गठन किया है।
इस संस्थान को निजी क्षेत्र की तरफ से उनकी गतिविधियों में समर्थन करने के लिए कम से कम 30 अर्जियां मिली हैं और इन पर अगले वर्ष तक निर्णय लिया जाएगा।
इस उद्योग से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि इन-स्पेस और इस क्षेत्र के लिए गठित नियामक स्टार्टअप की तरह ही सक्रिय होंगे।
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Source : IANS