/newsnation/media/post_attachments/images/2019/09/04/chandrayaan2-37.jpg)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने 4 सितंबर को तड़के 3:42 बजे विक्रम लैंडर को चांद की सबसे नजदीकी कक्षा में डाल दिया. अब से 45 घंटे बाद विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, क्योंकि विक्रम लैंडर अब चांद से केवल 35 किलोमीटर दूर है. इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि विक्रम लैंडर अच्छे पोजीशन में है.
Indian Space Research Organisation (ISRO): The second de-orbiting maneuver for #Chandrayan2 spacecraft was performed successfully today, beginning at 3:42 am as planned, using the on-board propulsion system. The duration of the maneuver was 9 seconds. pic.twitter.com/OK1mqtOjG2
— ANI (@ANI) September 4, 2019
इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि ऑर्बिटर चांद के चारों ओर 96 किमी की एपोजी और 125 किमी की पेरीजी वाली अंडाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा है. चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ दो किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चक्कर लगा रहे है. वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रयान 2 के तीन हिस्से हैं- पहला आर्बिटर, दूसरा विक्रम लैंडर और तीसरा प्रज्ञान रोवर. विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद ही बाहर निकलेगा.
इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा था कि हम चांद पर एक ऐसी जगह जा रहे हैं, जो अभी तक दुनिया से अछूती रही है. यह है चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव. लैंडर धीरे-धीरे ऑर्बिटर से अलग हो गया है. इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास एक पूर्वनिर्धारित जगह पर उतरेगा. बाद में रोवर वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चंद्रमा की सतह पर निकल जाएगा.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो