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जलवायु परिवर्तन के चलते विरासत स्थल एवं स्मारकों पर खतरा

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने शिरपुर विरासत के डिजिटल संरक्षण व संवर्धन के लिए अपने साइंस एंड हेरीटेज रिसर्च इनिशिएटिव (एसएचआरआई) कार्यक्रम के तहत प्रस्ताव का चयन किया है.

Updated on: 09 Oct 2022, 08:59 PM

नई दिल्ली:

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने शिरपुर विरासत के डिजिटल संरक्षण व संवर्धन के लिए अपने साइंस एंड हेरीटेज रिसर्च इनिशिएटिव (एसएचआरआई) कार्यक्रम के तहत प्रस्ताव का चयन किया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की विज्ञान और विरासत अनुसंधान विरासत वस्तुओं के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक पहल है, जिसमें स्मारक खराब होने की प्रक्रिया, इसके संरक्षण तकनीक, प्रौद्योगिकियां और नैदानिक ​​​​प्रौद्योगिकियां शामिल है. यह विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को डेटा कैप्चर और विश्लेषण के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत को डिजिटली संरक्षित करने का एक विशेष पहल है.

शिरपुर छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले में महानदी के तट पर स्थित है और पूरी तरह से सांस्कृतिक और स्थापत्य कला के लिए इसे जाना जाता है. शिरपुर प्राचीन काल में पांडुवंशी वंश की राजधानी थी. सिरपुर में 5वीं से 12वीं शताब्दी के बौद्ध, हिंदू और जैन मंदिरों और मठों से युक्त सिरपुर समूह के स्मारकों है. शिरपुर जैन धर्म, बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक तीर्थ स्थल है.

जलवायु परिवर्तन के कारण चलते दुनिया भर के विरासत स्थल एवं स्मारकों पर एक तरह का खतरा मंडरा रहा है. बहुत से मंदिर कला के केन्द्र अपनी पुराने गौरव दिन प्रतिदिन जीर्ण शीर्ण होने से खोते जा रहे हैं. इसका उपाय है कि इन स्थानों को डिजिटल इंडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए और इसके आर्किटेक्चर को डिजटली सेव किया जाए जो भविष्य के लिए सुरक्षित और जीर्णोद्धार में सहायक हो.

डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के पहल साइंस एंड हेरीटेज रिसर्च इनिशिएटिव का उद्देश्य ऐसे विरासत स्थलों को क्षति होने से रोकने एवम इसे डिजिटल रूप से संरक्षित करना है. डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने परियोजना अन्वेषक डॉ. मनु वर्धन और सह परियोजना अन्वेषक डॉ. विनय पाठक के प्रपोजल को शिरपुर के स्मारकों को और अधिक क्षति और क्षय से बचाने के लिए हरी झंडी दे दी है.