logo-image

दुनिया पर बड़ा खतरा टला, अनियंत्रित रॉकेट का मलबा वायुमंडल में प्रवेश के बाद जला 

अमेरिकी स्पेस कमांड लगातार इस घटना को लेकर सतर्क था. रूस के अनियंत्रित रॉकेट का एक हिस्सा ​पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर गया था.

Updated on: 06 Jan 2022, 02:36 PM

highlights

  • अधिकतर हिस्से वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद जल गए
  • रॉकेट ने पृथ्वी के वातावरण में दोबारा दोपहर के 2:08 बजे तक प्रवेश किया था

नई दिल्ली:

धरती पर एक बड़ा खतरा टल गया है. दरअसल रूस के अनियंत्रित रॉकेट का एक हिस्सा ​पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर गया था. मगर अभी तक इससे किसी तरह की तबाही नजर नहीं आई है. इस रॉकेट का लॉन्च बीते दिनों सफल नहीं रहा था, जिसके बाद ये अनियंत्रित हो गया (Russian Rocket Crash 2022). अमेरिकी स्पेस कमांड लगातार इस घटना को लेकर सतर्क था. उसका कहना है कि रूस के रॉकेट ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर लिया है. इसके अधिकतर हिस्से वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद जल गए, जिसकी वजह से इंसानों के लिए ये कम खतरा माना जा रहा है. ऐसी आशंका व्यक्त की गई थी कि इससे कुछ बड़े हिस्से धरती पर गिरकर तबाई मचा सकते हैं.

काफी भारी-भरकम रॉकेट अंगारा-ए5 (Angara-A5) को बीते वर्ष 27 दिसंबर को  रूस के उत्तर-पश्चिमी आर्कान्जेस्क क्षेत्र के प्लासेत्स्क स्पेसपोर्ट से लॉन्च किया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लॉन्च के जरिए नए अपर स्टेज रॉकेट का परीक्षण हुआ.  इसे पर्सी बूस्टर के तौर पर जाना जाता है. इसके बाद इंजन फेल हो गए. इससे पहले बुधवार को अमरीकी स्पेस कमांड ने बताया था कि रॉकेट ने पृथ्वी के वातावरण में दोबारा दोपहर के 2:08 बजे तक प्रवेश किया था. अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह प्रशांत महासागर में गिरा, मगर ये सागर के कौन से स्थान पर गिरा है, इसका पता नहीं चल सका है.

7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड से यात्रा कर रहा था 

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) के स्पेस डेबरिस ऑफिस के प्रमुख, होल्गर क्राग का कहना था कि रूसी रॉकेट का एक हिस्सा 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड (4.7 मील प्रति सेकंड) की गति से यात्रा कर रहा था. क्राग के अनसार, ‘इसकी संभावना काफी कम है कि रॉकेट ने किसी को नुकसान पहुंचाएगा या किसी को चोट पहुंचाएगा. मगर इसके बाद भी जोखिम को नजरअदांज नहीं करा जा सकता था.’ इससे पहले मई 2021 में नासा ने चीन को फटकार लगाई थी. उसका अनियंत्रित रॉकेट का मलबा अंतरिक्ष स्टेशन से हिंद महासागर में गिरा था.