भारतीय उपग्रहों को मलबे से सुरक्षित रखने वाली परियोजना के लिए 33 करोड़ रूपये का प्रस्ताव

सितंबर 2019 में भारत ने अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों एवं अन्य सम्पत्तियों की मलबे एवं अन्य वस्तुओं से सुरक्षा के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली संबंधी ‘प्रोजेक्ट नेत्र’ की घोषणा की थी.

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Vikas Kumar
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भारतीय उपग्रहों को मलबे से सुरक्षित रखने वाली परियोजना के लिए 33 करोड़ रूपये का प्रस्ताव

Space News( Photo Credit : फाइल फोटो)

सरकार ने अंतरिक्ष में भारतीय उपग्रहों को मलबे और अन्य खतरों से सुरक्षित रखने वाली इसरो की ‘‘ नेटवर्क फार स्पेस आब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस’’ या ‘‘प्रोजेक्ट नेत्र’’ के लिये 33.30 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया है. अनुदान की पूरक मांगों के दस्तावेज से यह जानकारी मिली है . वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2019-20 के अनुदान की पूरक मांगों के पहले बैच में ‘‘ नेटवर्क फार स्पेस आब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस’’ परियोजना के वास्ते 33.30 करोड़ रूपये मंजूर करने के लिये संसद की मंजूरी मांगी थी.

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लोकसभा ने पिछले सप्ताह इसे मंजूरी दे दी . सितंबर 2019 में भारत ने अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों एवं अन्य सम्पत्तियों की मलबे एवं अन्य वस्तुओं से सुरक्षा के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली संबंधी ‘प्रोजेक्ट नेत्र’ की घोषणा की थी . इस पर 400 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत आने की संभावना है . वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव के 50 वर्षों के अंतरिक्ष इतिहास में पृथ्वी की कक्षा के चारों तरफ घूमने वाली कचरे की एक पट्टी बन गई है जिसके कई तरह के खतरे हैं .

ऐसे में अंतरिक्ष में देशों के लिए अपनी सम्पत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है . वर्तमान में भूस्थैतिक कक्षा में 15 भारतीय संचार उपग्रह सक्रिय हैं . इसके अलावा निम्न भू कक्षा (2,000 किलोमीटर के दायरे) में 13 रिमोट सेंसिंग उपग्रह तथा पृथ्वी की मध्यम कक्षा में आठ नेविगेशन उपग्रह स्थापित हैं. इसके अलावा भी कई छोटे उपग्रह अंतरिक्ष में मौजूद हैं . ‘सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र’ के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एम वाई एस प्रसाद ने ‘भाषा’ से कहा कि भारत एक जिम्मेदार अंतरिक्ष शक्ति है और इस तरह की निगरानी क्षमता अंतरिक्ष सम्पत्ति की सुरक्षा के लिये जरूरी है .

उन्होंने कहा कि नेटवर्क फार स्पेस आब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस’’ परियोजना से भारत को अंतरिक्ष में मलबे एवं अन्य खतरों का आकलन करने की अमेरिका और रूस के समान क्षमता हासिल हो जायेगी . एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिक्ष में लगभग 17,000 मानव निर्मित वस्तुओं की निगरानी की जाती हैं जिनमें से 7% वस्तुएँ सक्रिय हैं. एक समयावधि के बाद ये वस्तुएँ निष्क्रिय हो जाती हैं और अंतरिक्ष में घूर्णन करने के दौरान एक-दूसरे से टकराती रहती हैं.

प्रत्येक वर्ष अंतरिक्ष में वस्तुओं के टकराने की अनेकों घटनाएं होती हैं . इसके फलस्वरूप मलबे के छोटे-छोटे टुकड़े अत्यंत तीव्र गति से घूर्णन करते रहते हैं. अंतरिक्ष में उपस्थित निष्क्रिय उपग्रहों और अन्य मलबा पृथ्वी की कक्षा में कई वर्षों तक विद्यमान रहता हैं और ये मलबा किसी भी सक्रिय उपग्रह को क्षति पहुँचा सकता है. 

HIGHLIGHTS

  • इसरो की ‘‘ नेटवर्क फार स्पेस आब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस’’ या ‘‘प्रोजेक्ट नेत्र’’ के लिये 33.30 करोड़ रूपये का प्रस्ताव किया है.
  • सितंबर 2019 में भारत ने अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों एवं अन्य सम्पत्तियों की मलबे एवं अन्य वस्तुओं से सुरक्षा के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली संबंधी ‘प्रोजेक्ट नेत्र’ की घोषणा की थी .
  • लोकसभा ने पिछले सप्ताह इसे मंजूरी दे दी.

Source : Bhasha

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