लोन ऐप में ईडी की जांच में आए मर्चेंट से कंपनी का कोई लेना-देना नहीं: Paytm
इंस्टेंट लोन ऐप के जरिये तुरंत लोन देने के मकड़जाल में फंसाकर ग्राहक से मोटी रकम वसूलने के मामले दिन-ब-दिन सामने आते रहते हैं जिनकी बदौलत कई शख्स सुसाइड कर चुके हैं
नई दिल्ली:
इंस्टेंट लोन ऐप के जरिये तुरंत लोन देने के मकड़जाल में फंसाकर ग्राहक से मोटी रकम वसूलने के मामले दिन-ब-दिन सामने आते रहते हैं जिनकी बदौलत कई शख्स सुसाइड कर चुके हैं. आपको बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ईडी को इन लोन ऐप में चीन के नियंत्रण के इनपुट मिले हैं जिसके आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने बीते दिनों चीनी नागरिकों के 'नियंत्रण' वाले ऐप आधारित इंस्टैंट लोन आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफर्म रेजरपे (Razor pay), पेटीएम (Paytm) और कैशफ्री (Cash free) के बेंगलुरु स्थित दफ्तरों पर छापेमारी की।
पेटीएम ने दी सफाई
आपको बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने इस बाबत पेटीएम से जानकारी मुहैया कराने के लिए कहा था। प्रवर्तन निदेशालय की इस छापेमारी को लेकर डिजिटल पेमेंट एंड फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी पेटीएम (Paytm) ने अपनी सफाई में साफ कहा है कि ईडी ने कुछ मर्चेंट निकायों की मर्चेंट आईडी से कुछ राशि पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. हम बताना चाहते हैं कि पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड ने रविवार को उन मर्चेंट से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया जो चीनी लोन ऐप मामले में ईडी की जांच के दायरे में हैं.
ईडी ने पेटीएम से मांगी थी इंफॉर्मेशन जानकारी
पेटीएम कंपनी का साफ कहना है कि ईडी की तरफ से जिन फंड पर भी रोक लगाई गई है उनमें से कोई भी ग्रुप या ग्रुप की किसी कंपनी से संबंधित नहीं है. पेटीएम ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा, ‘‘कुछ मर्चेंट के खिलाफ जारी जांच के सिलसिले में ईडी ने उन मर्चेंट से जुड़ी जानकारियां मांगी थी जिन्हें हम पेमेंट प्रोसेसिंग सॉल्यूश देते हैं. हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि ये मर्चेंट इंडिपेंडेंट एंटिटीज हैं और इनमें से कोई भी हमारे ग्रुप की एंटिटीज नहीं है।
चीन कर रहा इंस्टेंट लोन ऐप को कंट्रोल
गौरतलब है कि चीन की तरफ से लोन ऐप को कंट्रोल करने के मामले प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि छापेमारी में चीन के व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित इन कंपनियों के ‘‘मर्चेंट आईडी और बैंक खातों’’ में जमा 17 करोड़ रुपयों को ईडी ने जब्त कर लिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने इन कंपनियों पर आरोप लगाते हुए बताया कि ये कंपनियां भारतीय नागरिकों के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके उन्हें फर्जी तरीके से डायरेक्टर बनाती हैं जबकि इन कंपनियों का नियंत्रण और परिचालन चीन के लोग करते हैं.
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