देशभर के प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऑक्सीजन प्रबंधक को प्रशिक्षित करेगा केंद्र

देशभर के प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऑक्सीजन प्रबंधक को प्रशिक्षित करेगा केंद्र

देशभर के प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऑक्सीजन प्रबंधक को प्रशिक्षित करेगा केंद्र

author-image
IANS
New Update
Omicronphotopixabaycom

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच केंद्र सरकार देशभर के हर जिले में कम से कम एक ऑक्सीजन प्रबंधक की पहचान करने और उसे प्रशिक्षित करने की योजना बना रही है।

Advertisment

इस पहल का उद्देश्य है कि ऑक्सीजन प्रबंधन और प्रशासन के कार्य में संलग्न हर स्वास्थ्यकर्मी को जरूरी ज्ञान और कौशल सिखाना करना, ताकि मेडिकल ऑक्सीजन का तर्कसंगत इस्तेमाल सुनिश्चित हो सके और ऑक्सीजन की बर्बादी न हो, खासतौर से तब, जब संसाधनों पर दबाव के हालात बन जाते हैं।

ये प्रशिक्षित पेशेवर लोग ऑक्सीजन थेरेपी में प्रशिक्षण का नेतृत्व करने, अपने-अपने जिलों में ऑक्सीजन प्रबंधन, ऑक्सीजन आपूर्ति का हिसाब-किताब देखने तथा हर ऑक्सीजन की अचानक बढ़ती मांग के लिए हमेशा तैयार रहने की जिम्मेदारी पूरी करेंगे।

जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में प्राणों की रक्षा करने में मेडिकल ऑक्सीजन की भूमिका तथा मेडिकल ऑक्सीजन के प्रबंधन में स्वास्थ्य कर्मियों के क्षमता-निर्माण की आवश्यकता को देखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने बुधवार नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में राष्ट्रीय ऑक्सीजन प्रबंधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

इस दौरान मंत्री पवार ने कहा, ऑक्सीजन जीवन रक्षक है और कोविड-19 के अलावा अन्य कई बीमारियों के उपचार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। देश ने देखा था कि महामारी के दौरान ऑक्सीजन की मांग कितनी बढ़ गई थी। इसलिए, ऑक्सीजन का तर्कसंगत इस्तेमाल जरूरी हो गया है और यही वक्त की मांग भी है।

कार्यक्रम पर टिप्पणी करते हुए, डॉ. पवार ने कहा, आवश्यक ज्ञान और कौशल पर ध्यान देकर ऑक्सीजन थेरेपी में हमारे स्वास्थ्य कर्मियों की कुशलता में बढ़ोतरी होगी। इससे हमारे प्रतिभागियों को प्रशिक्षण मिलेगा कि ऑक्सीजन की बर्बादी या उसके अधिक इस्तेमाल से कैसे बचा जाए, खासतौर से उस समय जब संसाधनों पर दबाव हो, जिसमें ऑक्सीजन संकट के समय की चुनौतियां शामिल हैं। उन्हें यह भी सीखने को मिलेगा कि किस तरह आगे की संकटकालीन परिस्थितियों को टाला जा सकता है।

ऑक्सीजन की उपलब्धता में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयासों का विवरण देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारत सरकार ने 1500 से अधिक प्रेशर स्विंग एडसॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन जेनरेशन संयंत्रों को मंजूरी दी है, जिनमें से 1463 चालू हो चुके हैं। इनमें से 1225 पीएसए संयंत्रों को पीएम केयर्स निधि के तहत देश के हर जिले में लगाया गया है।

उन्होंने बताया कि राज्यों से कहा गया है कि वे जनस्वास्थ्य केंद्रों में पीएसए संयंत्र लगाएं और निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर पीएसए संयंत्र लगाने में सहयोग करें।

इस दौरान नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि सभी देशों को संसाधनों पर दबाव झेलना पड़ता है, लेकिन जरूरी यह है कि उपलब्ध संसाधनों का युक्तिसंगत तरीके से इस्तेमाल किया जाए। इस तरह का प्रयास करने के लिए उन्होंने इस पहल का स्वागत किया कि उसके अंतर्गत ऑक्सीजन प्रशासन को कारगर बनाना सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने हाल में ही शुरू किए गए ऑक्सीकेयर डैशबोर्ड की चर्चा की और कहा कि यह ऑक्सीजन प्रशासन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
Advertisment