स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि ओमीक्रॉन के संक्रमण के मामलों को घटता देखकर जब दुनिया भर से प्रतिबंधों को हटाया जा रहा है, वैसी स्थिति में ओमीक्रॉन का नया वैरिएंट बीए.2 संक्रमण और मौत के मामलों में अचानक बहुत तेजी ला सकता है।
एपिडेमोलॉजिस्ट एरिक फिल डिंग भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहते हैं कि ओमीक्रॉन का नया वैरिएंट निश्चित रूप से बुरी खबर है।
एरिक ने बताया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस बात को लेकर बहुत चिंतित है कि यह वैरिएंट पुराने ओमीक्रॉन की तुलना में अधिक संक्रामक और गंभीर है।
उन्होंने बताया कि डेनमार्क में कोरोना संक्रमण के जितने नये मामले सामने आये हैं, उनमें से 90 फीसदी मामले ओमीक्रॉन के बीए.2 वैरिएंट के हैं और इसका स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर प्रभाव देखने को मिल रहा है।
एरिक ने कहा कि डेनमार्क में कई सप्ताह से बीए.2 वैरिएंट सक्रिय है और अब वहां मौत के मामले बढ़ रहे हैं। डेनमार्क के स्वास्स्थ्य अधिकारियों ने प्रारंभिक आंकड़ो के आधार पर पहले कहा था कि नया वैरिएंट बीए.1 की तुलना में डेढ़ गुणा अधिक संक्रामक है लेकिन इसका असर उतना गंभीर नहीं होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में कोविड-19 के मामलों की तकनीक प्रमुख मारिया वान केरखोव ने भी कहा है कि बीए.2 वैरिएंट ओमीक्रॉन के पुराने वैरिएंट से अधिक संक्रामक है और इसके प्रसार को रोकने की जरूरत है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो इससे सिर्फ कोरोना संक्रमण के मामले ही नहीं बढ़ेंगे बल्कि हम अस्पताल में भर्ती होने और मौत के मामलों में भी तेजी देखेंगे। हम यह भी देखेंगे कि लोग लॉंग कोविड से ग्रसित हैं और साथ ही कोरोना वायरस के नये वैरिएंट को भी पनपने का मौका मिल रहा है।
टोक्यो यूनिवर्सिटी द्वारा किये गये शोध से यह बात सामने आयी है कि यूरोप और एशिया के कई देशों में ओमीक्रॉन का नया वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। शोध के मुताबिक वैश्विक स्वास्थ्य के लिए यह अब तक का सबसे चिंताजनक वैरिएंट हो सकता है।
वर्तमान में दोनों वैरिएंट को ओमीक्रॉन के नाम से जाना जा रहा है और इनमें अंतर करना बहुत मुश्किल है।
शोधकर्ता काई सातो ने कहा कि शोध के आधार पर हम यह प्रस्ताव पेश करते हैं कि नये वैरिएंट को अलग वैरिएंट के रूप में मान्यता दी जाये और इसके बारे में गहराई से निगरानी की जाये।
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Source : IANS