New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2021/05/18/earth-formed-18.jpg)
Earth formed ( Photo Credit : News Nation)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
Earth formed ( Photo Credit : News Nation)
आप सभी ने बचपन में सौरमंडल और वहां मौजूद ग्रह के बारे में तो जरूर पढ़ा और सुना होगा. हमारा सौर मंडल कई रहस्यों से भरा पड़ा है, लेकिन इंसान केवल अभी तक केवल 9 ग्रहों के बारे में ही जान पाया है. इनमें भी प्लूटो से अब ग्रहों का दर्जा छीन लिया है. अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (International Astronomical Union) के अनुसार हमारे सौर मंडल में 8 ग्रह हैं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चून. इनके अतिरिक्त तीन बौने ग्रह और हैं - सीरीस, प्लूटो और एरीस. हमारी पृथ्वी (Earth) में सौरमंडल (Solar System) के कई रहस्य छिपे हैं.
ये भी पढ़ें- मंगल ग्रह पर उतरा चीन का रोवर, US के बाद ऐसा करने वाला बना दूसरा देश
पृथ्वी की गहराइयों से हमें इस तरह के प्रमाण मिलते हैं जो उस समय की घटनाओं की जानकारी देते हैं जब इस पृथ्वी का निर्माण हो रहा था. ऐसी ही एक चौंकाने वाली जानकारी हमारे वैज्ञानिकों को मिली है. उन्हें ऐसे प्रमाण मिले हैं जिनसे पता चला है कि पृथ्वी के क्रोड़ (Core of The Earth) में हमारे सूर्य की सौर पवनों (Solar Winds) के कण मौजूद हैं. वैज्ञानिकों ने इसकी कारण बताने का भी प्रयास किया है.
हेडेलबर्ग यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ अर्थ साइंसेस के शोधकर्ताओं ने हाल ही में अक्रिय या नोबल गैसों पर रिसर्च किया. और बताया कि हमारे पुरातन सूर्य की सौर पवनों के कण 4.5 अरब साल पहले हमारे पृथ्वी के क्रोड़ में चले गए थे. शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि इन कणों ने अपना रास्ता पथरीले मैंटल के जरिए करोड़ों साल पहले निकला था.
वैज्ञानिकों ने सूर्य की अक्रिय गैस एक लोहे के उल्कापिंड में पाया, जिनका वे अध्ययन कर रहे थे. इन उल्का पिंडों के रासायनिक संरचना के कारण उन्होंने पृथ्वी की धातु क्रोड़ के प्राकृतिक मॉडल्स की तरह उपयोग में लाया जाता है. ये खास तरह के लौह उल्कापिंड होते हैं जो बहुत ही कम पाए जाते हैं. और पृथ्वी पर पाए गए उल्कापिंडों के केवल पांच प्रतिशत होते हैं.
ये भी पढ़ें- महिला का दावा- 52 बार एलियन ने किया किडनैप, सबूत में दिखाए निशान
वैज्ञानिकों के अनुसार लौहे के उल्कापिंड में सौर तत्व मौजूद हैं. उन्होंने इसके लिए नोबल गैस मास स्पैक्ट्रोमीटर का उपयोग किया और पाया कि इसमें ऐसे नोबल गैस हैं जिनमें हीलियम और नियोन का आइसोटोप अनुपात वही है जो सौर पवनों में होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार इन कणों के आसपास पकड़ी गई गैस तरल धातु में घुल गई होगी जिससे क्षुद्रग्रह के क्रोड़ का निर्माण हुआ होगा.
शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च के आधार पर कहा कि हमारी पृथ्वी का भी इसी तरह से निर्माण हुआ होगा. उनके अनुसार इसी तरह से पृथ्वी के क्रोड़ में सौर पवनों के कण आए होंगे और पृथ्वी की क्रोड़ का निर्माण हुआ होगा. और उसमें भी नोबल गैस के अवयव होने चाहिए. आग्नेय शैलों में ऐसा ही संयोजन मिलता है.
HIGHLIGHTS