राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर ने गन्ने के रस की शुद्धीकरण (सफाई) तकनीक में एक बड़ी सफलता हासिल करने का दावा किया है।
दि शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया और मेसर्स केमिकल सिस्टम टेक्नोलॉजीज, नई दिल्ली के सहयोग से संस्थान के प्रायोगिक शुगर फैक्टर में प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।
नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट के निदेशक, नरेंद्र मोहन ने कहा, पारंपरिक तकनीक में गन्ने के रस से अवक्षेपित अशुद्धियां पारम्परिक सेटलर में अधिक घनत्व की होने के कारण समय के साथ नीचे की ओर बैठ जाती है, जहां से उनको हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग दो से ढाई घंटे लगते हैं। परिणाम स्वरूप रंग विकसित होता है। रस ठंडा होता है और अधिक समय लगने के कारण चीनी का नुकसान होता है। विकसित तकनीक में, अशुद्धियों को फ्लोटेशन (तैरती अशुद्धियां) के माध्यम से रस की सतह से हटा दिया जाता है, जिसके लिए केवल 30-45 मिनट की आवश्यकता होती है और इस प्रकार पारंपरिक प्रक्रिया की कमियों को दूर किया जा सकना सम्भव है। हमने इस उद्देश्य के लिए एक विशेष रूप से डिजाइन किए गए रिएक्टर, एयररेटर और फ्लोटेशन क्लैरिफायर का उपयोग किया है।
उन्होंने कहा कि चीनी को सबसे छोटे मार्ग से प्रक्रिया के बाहर किया जाना चाहिए, क्योंकि प्रसंस्करण समय में किसी भी तरह की वृद्धि से चीनी के नुकसान में वृद्धि होना तय है।
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Source : IANS