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मनुष्यों के लिए नियोकोव के संभावित खतरे को जानने के लिए अभी और अध्ययन की जरूरत: डब्ल्यूएचओ

मनुष्यों के लिए नियोकोव के संभावित खतरे को जानने के लिए अभी और अध्ययन की जरूरत: डब्ल्यूएचओ

Updated on: 28 Jan 2022, 09:25 PM

जेनेवा:

चीनी शोधकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में एक नए प्रकार के कोरोनावायरस का पता लगाया है। उन्होंने अपने अनुसंधान (रिसर्च) में दावा किया है कि इसमें उत्परिवर्तित (म्यूटेंट) की क्षमता अधिक है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि इसकी क्षमता को और स्पष्टता की आवश्यकता है।

चीन के वुहान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार, नियोकोव सार्स-सीओवी-2 की तरह ही मानव कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है।

यह वायरस मध्य पूर्व रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस (मर्स-सीओवी) का निकटतम रिश्तेदार है।

चीन का वुहान शहर, जहां सबसे पहले कोविड वायरस 2019 के आखिरी महीनों में पाया गया था, अब वहीं के वैज्ञानिकों ने कोविड वायरस के एक और, मगर सबसे ज्यादा खतरनाक और जानलेवा वैरिएंट को लेकर चेतावनी जारी की है। वुहान के वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये एक नए प्रकार वायरस है, जिसके संक्रमण की मृत्यु दर सबसे ज्यादा है।

यह वायरस साल कई साल पहले मध्य पूर्वी देशों में खोजा गया था और यह सार्स-सीओवी-2 के ही समान है, जो मनुष्यों में कोरोनावायरस का कारण बनता है। जबकि नियोकोव को दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में खोजा गया था। हालांकि, इस नए प्रकार के कोरोना वायरस को अभी तक सिर्फ जानवरों में ही फैलता हुआ देखा गया है।

बायोरेक्सिव वेबसाइट पर प्रीप्रिंट के रूप में प्रकाशित एक नए स्टडी से पता चला है कि नियोकोव और इसके करीबी रिश्तेदार पीडीएफ-2180-सीओवी मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं और इसके संक्रमण करने की रफ्तार और इस वायरस से मृत्युदर काफी ज्यादा है।

हालांकि अभी तक इसका पीयर-रिव्यू नहीं किया गया है, यानी इस अनुसंधान की पूर्ण समीक्षा की जानी बाकी है।

हालांकि, डब्ल्यूएचओ के अनुसार, हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में खोजा गया नियोकोव कोरोनावायरस मनुष्यों के लिए खतरा है या नहीं, इस सवाल पर और अध्ययन की आवश्यकता है।

स्वास्थ्य निकाय ने टास समाचार एजेंसी के हवाले से कहा, क्या अध्ययन में पाया गया वायरस मनुष्यों के लिए जोखिम पैदा करेगा, इसके लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता होगी।

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इसके एनिमल हेल्थ, फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन और यूएन इनवायरोमेंट प्रोग्राम ने इस उभरते हुए नियोकोव वायरस पर नजर रखना शुरू कर दिया है और इस वायरस के संभावित खतरे पर जानकारियों को जुटाना शुरू कर दिया है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा, वह विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (ओआईई), खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि उभरते हुए जूनोटिक वायरस के खतरे की निगरानी और प्रतिक्रिया की जा सके।

डब्ल्यूएचओ ने न्यूज एजेंसी टास को बताया, क्या रिसर्च के दौरान पाया गया वायरस इंसानों के लिए जोखिम पैदा करेगा, इसे जानने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत होगी। वहीं डब्ल्यूएचओ ने चीनी रिसर्चर्स को नियोकोव पर रिसर्च करने के लिए धन्यवाद दिया है।

वैश्विक निकाय ने कहा, रिसर्च में पाया गया है कि जानवर, खासतौर पर जंगली जानवर 75 प्रतिशत से ज्यादा वायरस की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिनमें से कई वायरस पूरी तरह से नए होते हैं। कोरोना वायरस भी साधारणतया जानवरों में ही पाए जाते हैं, जिनमें चमगादड़ शामिल हैं, जिन्हें खासतौर पर वायरस के प्राकृतिक सोर्स के तौर पर पहचाना गया है।

चीनी वैज्ञानिकों ने जो दावा किया है, रूसी वैज्ञानिकों ने उस दावे को खारिज नहीं किया है और रूसी वैज्ञानिकों ने भी नियोकोव को खतरनाक कहा है। रूसी वैज्ञानिकों ने कहा कि चीन के वैज्ञानिकों ने नियोकोव पर जो रिसर्च की है, रूसी स्टेट वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर के पास उसकी जानकारी है। हालांकि, अभी तक नियोकोव के पास इतनी क्षमता नहीं है, कि वो इंसानों के बीच फैले, हालांकि, इस वायरस को लेकर जो जोखिम हैं, उसको लेकर और ज्यादा जांच किए जाने और काफी सतर्क रहने की आवश्यकता है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.