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National Science Day: नेशनल साइंस डे पर जानें विज्ञान के क्षेत्र में भारत कैसे बढ़ रहा आगे

एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के वैज्ञानिक संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी दुनिया में औसत हिस्सेदारी से आधी ही है.

Updated on: 28 Feb 2020, 09:26 AM

highlights

  • आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) है. 
  • नेशनल साइंस डे की इस बार की थीम महिलाएं और विज्ञान है.
  • 28 फरवरी (28 February) को मनाया जाता है.

नई दिल्ली:

आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) है. नेशनल साइंस डे की इस बार की थीम महिलाएं और विज्ञान है. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के वैज्ञानिक संस्थानों में महिलाओं की भागीदारी दुनिया में औसत हिस्सेदारी से आधी ही है. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) हर साल 28 फरवरी (28 February) को मनाया जाता है.
वैज्ञानिक सीवी रमन (CV Raman) ने 'रमन प्रभाव' (Raman Effect) का आविष्कार किया था. पारदर्शी पदार्थ से गुजरने पर प्रकाश की किरणों में आने वाले बदलाव पर की गई इस महत्‍वपूर्ण खोज के लिए 1930 में उन्हें भौतिकी के नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था. उन्होंने यह खोज 28 फरवरी को की थी. इस खोज के सम्‍मान में 1986 से इस दिन को राष्‍ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने की परंपरा चल पड़ी. बता दें कि सीवी रमन भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्‍कार प्राप्त करने वाले भारत ही नहीं बल्कि एशिया के पहले वैज्ञानिक थे.

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भारत विज्ञान में काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. भारत का चंद्रयान 2 काफी सफल रहा था. चंद्रयान 1 की सफलता के बाद भारत ने चंद्रयान 2 लांच किया था, जो कि काफी सफल रहा था. इसकी सफलता ऐसी थी कि खुद नासा के वैज्ञानिकों ने इसरो के वैज्ञानिकों की पीठ थपथपाई थी.

इसी के साथ भारत ने अंतरिक्ष में सेटेलाइट मार कर सकने वाली तकनीक भी हासिल कर ली है. इस तकनीक को इसरो ने Mission Shakti का नाम दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसके बारे में सामने आकर जानकारी दी थी. 

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2019 में इसरो के इन दो बड़े कारनामों ने देश-दुनिया के वैज्ञानिकों के बीच में भारत की एक अलग पहचान बना दी है. ISRO भी भारत के बच्चों को साइंस के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए एक खास कार्यक्रम युविका चला रहा है. युविका प्रोग्राम के तहत ISRO ने स्कूल स्टूडेंट्स को साइंस में प्रमोट करने का फैसला लिया है. युविका में क्लास 10 तक के बच्चे भाग ले सकते हैं. इसरो इन बच्चों को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर बुलाता है और ये दिखाता है कि अंतरिक्ष में काम कैसे किया जाता है.