चांद पर झंडे गाड़ने के लिए तैयार है NASA, रोवर ‘VIPER’ खोजेगा पानी
साल 2023 में नासा (NASA) चांद पर पानी और अन्य संसाधनों को खोजने की प्लानिंग कर रहा है. आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत चांद की सतह और उसके नीचे बर्फ और अन्य संसाधनों की खोज में मोबाइल रोबोट भेजा जाएगा.
highlights
- साल 2023 में चांद पर भेजा जाएगा रोवर
- रोवर वाइपर चांद पर पानी की खोज करेगा
नई दिल्ली:
दुनियाभर के वैज्ञानिक आज दूसरे ग्रहों पर रिसर्च करने में लगे हुए हैं. दुनिया भर के वैज्ञानिक पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश में जुटे हुए हैं. हाल ही में चीन ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए मंगल ग्रह (China Mars Mission) पर अपना रोवर उतार लिया है. इसी के साथ चीन अमेरिका के बाद यह कीर्तिमान बनाने वाला दूसरा देश बन गया है. चीन की इस कामयाबी के बाद अमेरिका कैसे चुप बैठने वाला था. अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने चांद (NASA Mission Moon) पर पानी खोजने का मास्टर प्लान तैयार किया है.
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नासा साल 2023 में चंद्रमा पर पानी और अन्य संसाधनों की खोज के लिए प्लान कर रहा है. अमेरिका की इस संस्था ने शुक्रवार को बताया कि वह अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत चांद की सतह और उसके नीचे बर्फ और अन्य संसाधनों की खोज में 2023 के आखिर में अपना पहला मोबाइल रोबोट VIPER भेजने का प्लान बना रही है. रोवर VIPER डाटा इकट्ठा करेगा, जो NASA को चांद साउथ पोल पर संसाधनों का मैप तैयार करने में मदद करेगा. इसका इस्तेमाल एक दिन चांद पर लंबे समय के लिए मानव अन्वेषण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
आर्टिमिस प्रोग्राम (Artemis Programme) के हिस्से के रूप में वाइपर से एकत्रित किए गए डाटा की जांच करके वैज्ञानिक ये पता लगाएंगे कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कौन से संसाधन हैं. यहां जानकारी जुटाना इसलिए भी दिलचस्प माना जाता है क्योंकि उत्तरी ध्रुव के मुकाबले इसका एक बड़ा हिस्सा छाया में ढंका हुआ है. आर्टिमिस प्रोग्राम के तहत नासा साल 2024 में पहली महिला और एक पुरुष को चंद्रमा पर भेजेगा. लेकिन इससे पहले 2023 में वाइपर (Viper Rover) को लॉन्च किया जाएगा.
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नासा की ओर से इसे लेकर शुक्रवार को एक बयान जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि रोवर के डाटा से ही आर्टिमिस प्रोग्राम में मदद मिलेगी. नासा के प्लेनेटरी साइंस डिविजन की निदेशक लॉरी ग्लेज (Lori Glaze) ने कहा कि 'वाइपर (Viper Rover) से प्राप्त डाटा से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के उन स्थानों के बारे में पता चलेगा, जहां बर्फ की मौजूदगी है. इस डाटा का विशलेषण कर दक्षिणी ध्रुव के वातावरण और संसाधनों के बारे में पता चलेगा, जिससे आर्टिमिस मिशन की तैयारी की जाएगी.'
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