नासा 'मून' प्राइज: किरण... चांद तक लिफ्ट बनाना चाहता है, चलेंगे इस लिफ्ट में आप भी ?

चेन्नई के 18 साल के साई किरण की कहानी हम सब से अलग है। अब कल्पना कीजिए कि अगर चांद को किसी सीढ़ी या एलिवेटर के जरिए पृथ्वी से जोड़ दिया जाए तो।

चेन्नई के 18 साल के साई किरण की कहानी हम सब से अलग है। अब कल्पना कीजिए कि अगर चांद को किसी सीढ़ी या एलिवेटर के जरिए पृथ्वी से जोड़ दिया जाए तो।

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desh deepak
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नासा 'मून' प्राइज: किरण... चांद तक लिफ्ट बनाना चाहता है, चलेंगे इस लिफ्ट में आप भी ?

Nasa moon prize

जब हम बच्चे थे, तो चांद से जुड़ी न जाने कई कहानियां पढ़ी होंगी और उसे देख-देख कई सपने भी देखें होंगे। लेकिन उन सपनों को वहीं छोड़ हम आगे बढ़ गए।

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चेन्नई के 18 साल के साई किरण की कहानी हम सब से अलग है। अब कल्पना कीजिए कि अगर चांद को किसी सीढ़ी या एलिवेटर के जरिए पृथ्वी से जोड़ दिया जाए तो।

साई किरण ने इसी दिशा में एक प्रोजेक्ट पर काम किया। उनकी कोशिश अभी भले ही एक कल्पना हो लेकिन नासा ने उन्हें इसके लिए 'मून प्राइज' से नवाजा है।

दरअसल, नासा एम्स रिसर्च सेंटर, सैन जोस स्टेट यूनिवर्सिटी, और नेशनल स्पेस सोसाइटी (एनएसएस) ने एक वार्षिक प्रतियोगिता का आयोजन किया था। साई किरण ने भी इसमें हिस्सा था। दुनिया भर से केवल 12 वीं कक्षा तक के छात्रों ने हिस्सा लिया।

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अपने अनूठे प्रस्ताव के लिए, साई किरण ने नासा एम्स स्पेस सेटलमेंट प्रतियोगिता 2017 की 12वीं श्रेणी में दूसरा स्थान प्राप्त किया है।

साई किरण के अनुसार, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच लिफ्ट का निर्माण संभव है और यह चांद पर मानवीय निपटान के लिए काफी मंहगा तरीका भी हो सकता है।

किशोर चेन्नई में ब्रिटिश इंटरनेशनल स्कूल के छात्र हैं। उन्होंने 'कनेक्टिंग मून, अर्थ एंड स्पेस' और 'हुमेइयू स्पेस हेविट्स' के रूप में प्रस्ताव का शीर्षक रखा है। इसका उद्देश्य मनुष्यों को चांद में ले जाने और अंततः उन्हें वहां बसाना है।

साई किरण 2013 से इस परियोजना पर काम कर रहे थे। तब वे सिंगापुर में रह रहे थे। चेन्नई जाने के बाद उन्होंने पिछले साल मार्च में इस पर थीसिस लिखना शुरू किया था।

उन्होंने डेक्कन क्रोनिकल के मुताबिक कहा 'परियोजना का पहला सेगमेंट लिफ्ट बनाने के बारे में है जो मानवों और कार्गो को चंद्रमा तक पहुंचा सकता है। जिससे कि मनुष्य अपनी बस्तियों को वहां बना सकें।'

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उन्होंने यह भी बताया कि क्यों वह धरती और चांद के बीच किसी सीढ़ी या लिफ्ट का निर्माण करना चाहते है? साई के मुताबिक अगर उनकी कल्पना सच होती है तो रॉकेट्स के माध्यम से मनुष्य को वहां भेजने में होने वाले खर्चों के मुकाबले काफी कम लागत आएगी।

साईं किरण के अलावा, भारत के विभिन्न ग्रेड के 138 छात्रों ने इस प्रतियोगिता में विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार जीता है।

Source : News Nation Bureau

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