चंद्रमा की सतह पर गुम हो गया है 'विक्रम', नहीं पता चला फिर से
अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा एक बार फिर चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' की स्थिति का पता लगाने में नाकाम रहा है. नासा के एक स्पेसक्राफ्ट ने इस महीने की शुरुआत में 'चंद्रयान-2' की लैंडिंग साइट की तस्वीरें ली थीं.
highlights
- नासा का उपग्रह एक बार फिर 'विक्रम' का पता लगाने में रहा नाकाम.
- अंधेरा होने के कारण दक्षिणी ध्रुव की फोटो नहीं आ पाती है साफ.
- 'विक्रम' के अब तक जीवित बचे रहने की आशा हुई और क्षीण.
New Delhi:
अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा एक बार फिर चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर 'विक्रम' की स्थिति का पता लगाने में नाकाम रहा है. नासा के एक स्पेसक्राफ्ट ने इस महीने की शुरुआत में 'चंद्रयान-2' की लैंडिंग साइट की तस्वीरें ली थीं, लेकिन उनमें लैंडर विक्रम का कहीं कोई अता-पता नहीं था. नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी वजह यह थी कि 'विक्रम' लैंडर चंद्रमा के जिस स्थान पर क्रैश हुआ था, वहां उस समय रात चल रही थी. गौरतलब है कि लैंडर 'विक्रम' चंद्रमा की सतह पर उतरते वक्त क्रैश हो गया था और फिर उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका है.
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सर्द रातों को बर्दाश्त नहीं कर सका 'विक्रम'!
हालांकि चंद्रमा की सतह का चक्कर लगाते हुए चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सतह की लगातार फोटो लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) को भेज रहा है. माना जा रहा है कि चंद्रमा पर रात होने से दक्षिणी ध्रुव पर ठंड काफी बढ़ गई है और लैंडर 'विक्रम' इन सर्द रातों को सहने लायक नहीं था. उसे चंद्रमा पर दिन रहते-रहते अपने प्रयोगों को अंजाम देने के लिए बनाया गया था. 7 सितंबर को क्रैश होने के बाद से नासा का उपग्रह दो बार उस स्थान के ऊपर से गुजर चुका है, लेकिन लैंडर 'विक्रम' के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सर्दी होने से 'विक्रम' की ओर से संकेत भेजने की संभावनाएं भी क्षीण हो गई हैं.
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गड्ढों की परछाईं भी है एक बाधा
गौरतलब है कि भारतीय मिशन चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था, वहां अभी तक कोई मिशन नहीं उतरा है. इस स्थान पर ढेर सारे गड्ढे (क्रैटर्स) हैं, जो हमेशा अपनी ही परछाईं से घिरे रहते हैं. इसकी एक वजह खास कोण से सूर्य का इस तरफ पड़ने वाला प्रकाश है. ऐसे में जब नासा के उपग्रह ने 'विक्रम' को खोजने की कोशिश की, तो चांद के इस हिस्से में धुंध छाई हुई थी. इसके बाद दूसरे प्रयास में भी नासा के उपग्रह को नाकामी ही हाथ लगी.
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