NASA के अंतरिक्ष यात्री बोले- पूरी दुनिया की नजर चंद्रयान-2 पर, अब तक शानदार रहा सफर
नासा की 5 साल के बाद यहां अपने एस्ट्रोनॉट उतारने की योजना है. नासा ही नहीं, पूरी दुनिया भारत के इस मिशन को लेकर बेताब है.
कोयम्बटूर:
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) मिशन 7 सितंबर को चांद की सतह पर लैंड करने वाला है. चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) जब चंद्रमा पर लैंड करेगा तब अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA समेत पूरी दुनिया की नजर उस पर होगी. चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) पहला यान होगा जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरेगा. यह कहना है नासा के पूर्व एस्ट्रोनॉट डोनाल्ड ए थॉमस का. उन्होंने रविवार को कहा कि नासा की 5 साल के बाद यहां अपने एस्ट्रोनॉट उतारने की योजना है. नासा ही नहीं, पूरी दुनिया भारत के इस मिशन को लेकर बेताब है.
डोनाल्ड ए थॉमस कोयंबटूर के पार्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से कहा कि हम इससे पहले चंद्रमा के भूमध्य रेखा के पास उतर चुके हैं, लेकिन दक्षिण ध्रुव पर कभी नहीं गए. दक्षिण ध्रुव पर हमें यहां बर्फ मिलने की उम्मीद है. अगर हमें यहां बर्फ मिलती है तो हम पानी और उससे ऑक्सीजन और हाइड्रोजन प्राप्त कर सकते हैं.
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डोनाल्ड ए थॉमस ने बताया कि चांद पर रहना बेहद मुश्किल है. वहां भारी मात्रा में रेडिएशन है. दिन के समय वहां का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच जाता है. वहीं, रात के समय तापमान 100 डिग्री सेल्सियस के नीचे होता है.
'पूरी दुनिया को है दिलचस्पी'
डोनाल्ड ए थॉमस ने कहा,' सिर्फ नासा ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया चंद्रयान -2 का अनुसरण करके चंद्रमा और ब्रह्मांड के बारे में जानने में दिलचस्पी लेगी. दक्षिण ध्रुव एक बहुत ही खास स्थान है, हमें लगता है कि कुछ गड्ढों में बर्फ है जो स्थायी रूप से ढका हुआ है.'
आज चांद के पांचवीं कक्षा में पहुंचेगा
चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) आज चांद के पांचवीं कक्षा या पांचवें ऑर्बिट में प्रवेश करेगा. इसी के साथ भारत के इस मून मिशन में एक और सफलता जुड़ जाएगी. 30 अगस्त को चंद्रयान 2 ने चांद की चौथी कक्षा में प्रवेश किया था और दो दिन तक इसी कक्षा में चांद की परिक्रमा करता रहा. इसरो (ISRO) के द्वारा जारी एक ऑफिशियल नोटिफिकेशन में बताया गया है कि 1 सितंबर 2019 को करीब 6 से 7 बजे शाम को चंद्रयान 2 पांचवीं कक्षा में प्रवेश करेगा.
Fifty years ago, we pioneered a path to the Moon. Today, our calling to explore is even greater. We’re going to the Moon to stay — and then to forge a path to Mars and beyond. #Artemis is the next chapter of human space exploration: https://t.co/MXIvA0xFmv pic.twitter.com/TCFU8altJc
— NASA (@NASA) August 25, 2019
22 जुलाई को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के द्वारा ये मिशन शुरू किया गया था. जबकि 20 अगस्त के दिन चंद्रयान 2 ने चांद की पहली कक्षा में पहुंचने में सफलता पाई थी. इसके बाद अब तक चंद्रयान 2 चांद की चार कक्षाओं में चक्कर लगा चुका है और आज इसको पांचवीं कक्षा में प्रवेश करना चाहिए. चंद्रयान 2 के दो रोवरों को 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरना है.
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7 सितंबर सबसे चुनौतीपूर्ण दिन
- 1:40 बजे रात (6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात) - विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा.
- 1:55 बजे रात - विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा. लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे.
- 3.55 बजे रात - लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा. इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा.
- 5.05 बजे सुबह - प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल खुलेगा. इसी सोलर पैनल के जरिए वह ऊर्जा हासिल करेगा.
- 5.10 बजे सुबह - प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा. वह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा. इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा.
- 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था. उम्मीद जताई जा रही है कि 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव देखेंगे.
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