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सूरज पर लगा मेड इन चाइना का ठप्पा, 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है गर्म

प्लाज्मा विकिरण से सूर्य का औसत तापमान पैदा किया गया, जिसके बाद उस तापमान से फ्यूजन यानी संलयन की प्रतिक्रिया हासिल की गई. फिर इसी आधार पर अणुओं का विखंडन हुआ, जिससे उन्होंने ज्यादा मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित की. ये प्रक्रिया लगातार और समय बढ़ा-बढ़ाक

Updated on: 06 Dec 2020, 09:28 AM

बीजिंग:

चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन के साथ साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने मिलकर साल 2006 से ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया था. शुक्रवार को इस सफलता का एलान करते हुए चीनी मीडिया ने बताया कि इस सूरज को बनाने का मकसद ज्यादा से ज्यादा सोलर एनर्जी पाना है. खासकर प्रतिकूल मौसम में, जब सूरज न निकला हो, सूरज की गर्मी मिल सकेगी. इस कृत्रिम सूरज को HL-2M Tokamak नाम दिया गया है.  इस दिशा में प्रयोग के लिए चीन के Leshan शहर में रिएक्टर तैयार किया गया और काम शुरू हुआ.

आर्टिफिशियल सूरज बनाने के लिए हाइड्रोजन गैस को 5 करोड़ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म कर, उस तापमान को 102 सेकंड तक स्थिर रखा गया. असली सूरज में हीलियम और हाइड्रोजन जैसी गैसें उच्च तापमान पर क्रिया करती हैं. इस दौरान 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक ऊर्जा निकलती है. यानी 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तापमान होता है. सूरज बनाने के दौरान इसके परमाणुओं को प्रयोगशाला में विखंडित किया गया.

प्लाज्मा विकिरण से सूर्य का औसत तापमान पैदा किया गया, जिसके बाद उस तापमान से फ्यूजन यानी संलयन की प्रतिक्रिया हासिल की गई. फिर इसी आधार पर अणुओं का विखंडन हुआ, जिससे उन्होंने ज्यादा मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित की. ये प्रक्रिया लगातार और समय बढ़ा-बढ़ाकर दोहराई जाती रही. इस रिएक्टर का नाम है HL-2M रिएक्टर. यह चीन का सबसे बड़ा और आधुनिक न्यूक्लियर फ्यूजन एक्पेरिमेंटल रिसर्च डिवाइस है. वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि यह डिवाइस स्वच्छ ऊर्जा स्रो त को पूरी तरह खोल सकती है. 

खबरों के अनुसार, न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी का विकास चीन की एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने का एकमात्र तरीका नहीं है. बल्कि इससे चीन की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के विकास के लिए भी जरूरी है. चीनी वैज्ञानिक साल 2006 से ही छोटे न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर के विकास पर काम कर रहे हैं.