लैंडर 'विक्रम' को चांद पर रात होते ही लगेगी 'सर्दी', संपर्क साधने को बस चंद दिन

20-21 सितंबर की रात आते-आते चंद्रमा के इस क्षेत्र में रात गहराने लगेगी. रात का मतलब हुआ तापमान का भयानक तरीके से गिरना. ऐसे में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को लैंडर 'विक्रम' से अब संपर्क स्थापित करने के लिए चंद दिन ही बचे हैं.

20-21 सितंबर की रात आते-आते चंद्रमा के इस क्षेत्र में रात गहराने लगेगी. रात का मतलब हुआ तापमान का भयानक तरीके से गिरना. ऐसे में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को लैंडर 'विक्रम' से अब संपर्क स्थापित करने के लिए चंद दिन ही बचे हैं.

author-image
Nihar Saxena
New Update
लैंडर 'विक्रम' को चांद पर रात होते ही लगेगी 'सर्दी', संपर्क साधने को बस चंद दिन

लैंडर 'विक्रम' का पता लगाने में मदद करेगा नासा का एलआरओ.

चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft landing) के वक्त ऑर्बिटर से लैंडर 'विक्रम' (Lander Vikram) का संपर्क टूटे अब लगभग 10 दिन हो रहे हैं. लैंडर 'विक्रम' को जिस दिन चांद की सतह पर उतरना था वह चंद्रमा के 'लूनर डे' (Lunar Day) का पहला दिन था. चंद्रमा का एक 'लूनर डे' पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर होता है. इस लिहाज से देखें तो 20-21 सितंबर की रात आते-आते चंद्रमा के इस क्षेत्र में रात गहराने लगेगी. रात का मतलब हुआ तापमान का भयानक तरीके से गिरना. ऐसे में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को लैंडर 'विक्रम' से अब संपर्क स्थापित करने के लिए चंद दिन ही बचे हैं. हालांकि फिलहाल जो स्थिति है, उसमें हर गुजरते दिन के साथ यह आशा भी धूमिल होती जा रही है. विक्रम 'लैंडर' को चंद्रमा (Moon) के एक दिन तक ही काम करने के लिए डिजाइन किया गया है.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः अब और भी आसानी से सिक्योर कर पाएंगे Whatsapp, लॉन्च हुआ ये बेहतरीन फीचर

नासा पर हैं निगाहें
ऐसे में अब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की निगाहें अमेरिकी संस्था नासा (NASA)की ओर लगी हुई है. नासा भी अपने डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार 'चंद्रयान-2' (Chandrayaan 2) के ऑर्बिटर और लैंडर से संपर्क बनाए हुए है. इसके अलावा नासा अपने लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के जरिए चांद के उस हिस्से की तस्वीरें भी लेगा, जहां विक्रम गिरा हुआ है. 17 सितंबर यानी मंगलवार को नासा का एलआरओ चांद के उस हिस्से से गुजरेगा, जहां विक्रम लैंडर है.

यह भी पढ़ेंः मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला : सामने आया घटना का ऑडियो क्लिप, कही गई स्कॉर्पियो में रेप की बात

चांद पर रात में -200 डिग्री हो जाता है तापमान
गौरतलब है चांद पर रात होने के दौरान सतह का तापमान (Night Temperature) भयानक हद तक गिरता है. अब तक प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस हिस्से में रात का तापमान माइनस 200 डिग्री तक जा पहुंचता है. इतने कम तापमान में लैंडर विक्रम (Lander Vikram) काम नहीं कर सकता है. यानी उससे संपर्क स्थापित करने के लिए जो कुछ भी करना है वह इन्हीं पांच दिनों में करना है. ऐसे में इसरो को अपने प्रयासों के साथ-साथ नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) से भी उम्मीदें हैं.

यह भी पढ़ेंः राष्ट्रपति के विमान में आई तकनीकी खराबी, तीन घंटे बाद भरी ज्यूरिख से उड़ान

रात की खींची फोटो साफ नहीं आती
ऐसा माना जा रहा है कि नासा का लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) विक्रम लैंडर के बारे में कोई नई जानकारी दे सकता है. नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ.ई.पेत्रो ने बताया कि चांद पर शाम होने लगी है. ऐसे में एलआरओ 'विक्रम' लैंडर की तस्वीरें तो लेगा, लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि तस्वीरें स्पष्ट आएंगी. इसकी वजह यह है कि शाम को सूरज की रोशनी कम होती है और ऐसे में चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना चुनौतीपूर्ण काम होगा.

HIGHLIGHTS

  • 'चंद्रयान-2' के ऑर्बिटर से लैंडर 'विक्रम' का संपर्क टूटे अब लगभग 10 दिन हो रहे हैं.
  • चांद का लूनर डे खत्म होने में बचे हैं महज 5 दिन. इससे पहले करना होगा संपर्क.
  • वर्ना माइनस 200 डिग्री तापमान में लैंडर विक्रम नहीं कर पाएगा काम.
isro NASA soft landing on moon Chandrayaan 2 Lander Vikram Orbit
      
Advertisment