बिहार में विधान परिषद का चुनाव होने वाला है। इसे लेकर सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी दलों के महागठबंधन के घटक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। इस दौरान सबकी नजर महागठबंधन के बंधन पर है।
कहा जा रहा है कि इस चुनाव के जरिए महाठबंधन के घटक दल पड़ी गांठों को भूलकर अपने बंधन को मजबूत करेंगे।
ऐसी स्थिति में यह चुनाव राजनीतिक दलों के साथ-साथ महागठबंधन के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल राज्य की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जिस तरह पहले राजद और फिर कांग्रेस ने दोनों सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए थे, उसके बाद दोनों दलों में खूब तकरार हुई।
हालांकि दोनों सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों के प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद अब विधान परिषद चुनाव पर सबकी नजर है।
वैसे, राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने पिछले दिनों यह कह कर कि इस चुनाव में साथियों की संख्या बढ़ेगी, से यह संकेत दे चुके है कि इस चुनाव में पुराने साथी तो साथ होंगे ही, नए साथी भी बढ़ सकते हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी कहते हैं कि राजनीति में कोई दोस्त या दुश्मन स्थाई नहीं होता। उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए कुछ भी निर्णय आलाकमान को लेना है। प्रदेश कांग्रेस हर परिस्थिति के लिए तैयार है।
इधर, लालू प्रसाद के बयान के बाद जमुई के सांसद चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के भी महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ने के कयास लगाए जाने लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि 2015 में हुए चुनाव में जदयू महागठबंधन का हिस्सा थी और उसे 10 सीटें मिली थी। इस लिहाज से भी तय माना जा रहा है कि महागठबंधन में इस बार सीटों को लेकर तालमेल बनाने में समस्या नहीं होगी। जदयू फिलहाल राजग का हिस्सा है।
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Source : IANS