कर्नाटक के कोप्पल जिले में एक महिला ने 104 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद कोरोना की जंग जीत ली है। महिला के फेफड़े 96 फीसदी कोरोना वायरस से प्रभावित थे लेकिन अब वह संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो गई है।
येलबर्ग तालुक के बोडुरु गांव की 46 वर्षीय गीता बाई ने घातक कोरोनावायरस के खिलाफ एक असंभव लड़ाई न सिर्फ लड़ी बल्कि जीती भी। मंगलवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई।
महिला का अस्पताल में कुल 158 दिनों तक इलाज चला था। सभी की उम्मीदें लगभग खत्म हो गई थीं, तब भी आईसीयू में वेंटिलेटर पर 2500 घंटे बिताने के बाद महिला पूरी तरह से ठीक हो गई है।
कोप्पल जिला अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि राज्य में 158 दिनों के लंबे इलाज के बाद कोरोना संक्रमण से उबरने का यह पहला मामला है। डॉक्टरों ने कहा कि अगर कोविड संक्रमण के दौरान 80 प्रतिशत फेफड़े प्रभावित होते हैं, तो मरीजों के बचने की संभावना कम होती है।
गीता बाई के फेफड़े 96 फीसदी प्रभावित थे। उन्हें 3 जुलाई को बुरी हालत में जिला सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनका स्वास्थ्य दिन-ब-दिन बिगढ़ता जा रहा था। डॉक्टरों ने इसे एक चुनौती के रूप में लेकर इलाज किया।
आमतौर पर स्थिति गंभीर होने पर एक हफ्ते से लेकर 90 दिन तक कोरोना के मरीज वेंटिलेटर से बाहर आ जाते हैं। वेंटिलेटर पर 104 दिन बिताने वाली गीता बाई रोजाना 10 लीटर ऑक्सीजन का इस्तेमाल करती हैं। यहां तक कि अब उन्हें छुट्टी दे दी गई है, गीता बाई को सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ रहा था और उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता है।
इलाज की निगरानी करने वाले वरिष्ठ चिकित्सक डॉ वेणुगोपाल ने कहा कि अगर मरीज आशावादी हो और सभी स्थितियों में साहस दिखाता हो तो चिकित्सा उपचार अधिक प्रभावी होगा। अस्पताल में भर्ती होने के पांच महीने बाद भी मरीज ने उम्मीद नहीं खोई और उसे एक नया जीवन मिला। गीता बाई एक स्वस्थ व्यक्ति हैं जो मधुमेह या किसी अन्य बीमारी से पीड़ित नहीं है।
गांव के मेले से वापस आने के बाद गीता बाई कोरोना से संक्रमित हो गई थी। शुरूआत में उसका इलाज घर पर ही किया गया और अस्पताल में भर्ती होने तक उसे सांस लेने में गंभीर समस्या हो रही थी।
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Source : IANS