हरियाणा में 25 साल बाद सीएम विंडो पोर्टल के माध्यम से मिला न्याय
हरियाणा में 25 साल बाद सीएम विंडो पोर्टल के माध्यम से मिला न्याय
चंडीगढ़:
हरियाणा के एक ग्रामीण को 25 साल के बाद सीएम विंडो पोर्टल तकनीकी के जरिए न्याय मिला है।ग्रामीण पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा सुशासन दिवस के अवसर पर 25 दिसंबर, 2014 को शुरू की गई शिकायतों के त्वरित निपटान के लिए एक पोर्टल, सीएम विंडो हरियाणा के माध्यम से अपने बहनोई का मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कामयाब रहे।
अधिकारियों ने गुरुवार को आईएएनएस को बताया कि पोर्टल शुरू से ही लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है, यहां तक कि गांवों और छोटे शहरों में रहने वाले लोगों के लिए भी। अब तक कुल 8,58,247 शिकायतें प्राप्त हुईं और 8,13,639 का समाधान किया गया।
मुख्यमंत्री के ओएसडी (शिकायत) भूपेश्वर दयाल ने असामान्य देरी के निवारण के एक मामले का हवाला देते हुए आईएएनएस को बताया कि गुरुग्राम का एक ग्रामीण अपने बहनोई देशराज का मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने में कामयाब रहा, जिसकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।
उनके मुताबिक गुरुग्राम के फारुखनगर के घोषगढ़ गांव के रहने वाले दुलीचंद ने शिकायत दर्ज कराई थी कि 26 सितंबर 1996 को बस हादसे में उनके देवर की मौत हो गई थी।
दयाल ने कहा कि शिकायत (नंबर 29,987) को 1 अप्रैल को सीएम विंडो पर अपलोड किया गया था और तेजी से कार्रवाई करते हुए, गुरुग्राम के सिविल अस्पताल को इस मुद्दे पर सूचित किया गया है।
इसके बाद, स्थानीय अस्पताल और नगरपालिका अधिकारियों ने रिकॉर्ड की तलाशी ली और तदनुसार 16 अगस्त को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया।
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता ने अस्पताल और सरकार की कार्रवाई पर संतोष व्यक्त करते हुए अपनी शिकायत वापस ले ली।
आवेदक ने स्वीकार किया कि वह मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए गुरुग्राम में सिविल अस्पताल और नगर निगम कार्यालय का चक्कर लगाकर थक गया था।
दयाल ने कहा कि किसी ने दुलीचंद को सुझाव दिया था कि वह सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज कराएं। उनकी समस्या का समाधान होने के बाद उन्होंने सीएम विंडो से जुड़े अधिकारियों का आभार जताया।
दयाल के मुताबिक ऐसे कई मामले हैं जहां लंबे समय से लंबित शिकायतों का समाधान सीएम विंडो के जरिए किया गया है।
हर माह सीएम विंडो पर प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की जाती है और संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर उनका समाधान करने का आदेश दिया जाता है, दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
साथ ही राज्य की राजधानी चंडीगढ़ आने के बजाय लोग अब वस्तुत: सीधे मुख्यमंत्री को शिकायतें भेज रहे हैं, जिनका कार्यालय नियमित रूप से उनकी निगरानी कर रहा है। यहां तक कि शिकायतकर्ता को भी उसकी शिकायत की स्थिति के बारे में मोबाइल के माध्यम से सूचित किया जाता है।
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