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चांद पर उतरने से चंद घंटे ही दूर हैं 'विक्रम' और 'प्रज्ञान', भारत रचेगा इतिहास

चंद्रयान का लैंडर विक्रम अपने साथ रोवर प्रज्ञान को लेकर सात सितंबर की रात 1.30 बजे से 2.30 बजे के बीच चांद पर उतरेगा.

Updated on: 06 Sep 2019, 07:51 PM

highlights

  • चंद्रयान-2 ने अपने 48 दिन के सफर के लगभग 47 दिन पूरे किए.
  • 7 सितंबर की रात 1.30 बजे से 2.30 बजे के बीच चांद पर उतरेगा.
  • इससे चांद पर मानव कॉलोनी बसाने की दिशा में भी मदद मिलेगी.

नई दिल्ली:

महज चंद घंटे दूर है चंद्रयान-2 के 'विक्रम' और 'प्रज्ञान' चांद पर कदम रखने से. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) में वैज्ञानिक विक्रम और पे लोड्स के सकुशल लैंडिंग के लिए अपनी तैयारियों में जुटे हैं. चंद्रयान की चांद पर लैंडिंग से पहले देश भर के लोगों के साथ इसरो के मिशन चंद्रयान-2 से जुड़े वैज्ञानिकों में भी जबर्दस्त उत्साह है. हालांकि इसरो के वैज्ञानिकों के मन में थोड़ी फिक्र और चिंता भी है. होनी स्वाभाविक भी है, क्योंकि चंद्रयान-2 की पहली लैंडिंग तकनीकी कारणों के चलते टालनी पड़ी थी, बल्कि इसलिए भी जिस जगह चंद्रयान-2 की लैंडिंग होनी है वहां अभी तक कोई चंद्र मिशन नहीं उतरा है.

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नासा की भी हैं निगाहें
सिर्फ इसरो ही क्यों नासा की ओर से अंतरिक्ष में गए जैरी लिनेंगर भी चंद्रयान-2 मिशन को लेकर खासे उत्साहित हैं. उन्होंने कहा है कि भारत का चंद्रयान-2 मिशन न सिर्फ विज्ञान एवं तकनीक के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे चांद पर मानव कॉलोनी बसाने की दिशा में भी जबर्दस्त मदद मिलने वाली है. गौरतलब है कि रूस, अमेरिका और चीन भले ही चांद की सतह पर अपने-अपने रॉकेट उतारने में कामयाब रहे हों, लेकिन भारत का च्ंद्रयान-2 मिशन पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जहां अभी तक कोई यान नहीं उतरा है.

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इतिहास रचने के करीब चंद्रयान-2
इस लिहाज से देखें तो भारत का चंद्रयान-2 इतिहास रचने के बेहद करीब पहुंच चुका है. मिशन की तमाम बाधाओं को सफलतापूर्वक पार करने की वजह से चंद्रयान-2 के सफल होने की उम्मीदें काफी बढ़ चुकी हैं. चंद्रयान का लैंडर विक्रम अपने साथ रोवर प्रज्ञान को लेकर सात सितंबर की रात 1.30 बजे से 2.30 बजे के बीच चांद पर उतरेगा.

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4 घंटे बाद लैंडर से बाहर निकलेगा रोवर
लैंडर विक्रम के चांद की सतह पर उतरने के लगभग चार घंटे बाद इसके भीतर से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलेगा. इसके बाद अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर एक चंद्र दिन तक वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा. गौरतलब है कि चंद्रमा का एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का है. इस दौरान वह लगातार चांद की परिक्रमा कर धरती पर बैठे इसरो के वैज्ञानिकों को पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) के बारे में जानकारी भेजता रहेगा.

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15 बाधाओं को किया पार
चंद्रयान-2 ने अपने 48 दिन के सफर में से लगभग 47 दिन पूरे कर लिए हैं. इस दौरान चंद्रयान-2 ने मिशन की 15 बड़ी बाधाओं को सफलतापूर्व पार कर लिया है. अब चांद पर सफल लैडिंग इसकी अंतिम बाधा है. माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 पहले की सभी बाधाओं की तरह ही चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की अंतिम चरण भी आसानी से पूरा कर लेगा.